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कविता - त्रिकालदर्शी महादेव (महाशिवरात्रि)

त्रिकालदर्शी महादेव

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं🙏

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 जय शिव शंकर कैलाश में डमरू बजाएं।

अंग भभूत भांग की धुंध रमाएं।


त्रिकालदर्शी महादेव


आदि शक्ति त्रिकालदर्शी देवों का महादेव कहलाएं।

मस्तक में चंदा जटा धारी गंगा झर झर बहाएं।


नीलकंठ धारी करुणा त्रिपुरारी।

गले में सर्प की माला दयालु कष्टहारी।

त्रिदेवों में से एक विधाता।

अन्नत कोटि के शंभू कोई न समझ पाता।


अनेक नाम महाकालेश्वर नीलकंठाय शंकरा,

शिव शंभू रामेश्वर त्रिनेत्र कहलाते रविशंकरा।


जिस नाम से भक्त बुलाते।

भोले दयालु रम जाते।

उमापति उमा माता करते पूजा। 

सुनते पुकार तुझ जैसा न कोई दूजा।


भूत -प्रेत बाराती आए।

ऐसी अनोखी थी वरमाला

ऐसी वेश पहने बाघ की छाला


महाशिवरात्रि के दिन आए

करो हम पर कृपा

हे कृपालु दीन दयालु महादेव शिवा।






कविता नैतिक सुविचार - इंसानी दुनियां

इंसानी दुनियां

इंसानी दुनिया नैतिक विचार स्वरचित  रचना है । और भी नैतिक कविता या कहानियां,सायरी आदि के लिए हमारे ब्लॉग में सर्च करे।


इंसानी दुनिया में रखी है कदम।

 पा लें  जन्नत का आनंद।

 हुआ है नीति का जन्म।


 इंसानी बुद्धि परे है।

 पा ले जो चांद सितारे मोतियों जड़े हैं ।

विश्वासी कसौटी में इंसान बेबस है।

ये कौन सा हवस  है।


 कभी पैसा कभी जान का स्वार्थ घेरा है ।

लगता है कोई अनिती फेरा है।


 इंसानी दुनिया मानो तो अच्छा।

 ना मानो तो कच्चा है ।

पल पल जीवन बिता जाए,

 खुशियों से बने नीतियों से भरें।

हर पल शुद्ध हो जीवन समृद्ध हरे।


 अपने जीवन में इंसानियत का मुसाफिर है।

 दुनिया में सच का मार्ग दिखाने वाले राहगीर है।

 खुद अच्छाई में चले तो बुराई का अंत निश्चित है ।

सच्चे कर्म करे तो मीठा फल अपना नसीब है ।


इंसानियत रहेगी तो दुनिया संपन्न है।

 इसके बिना अधूरा हर एक सितम है।


 गम को हंसते हुए संघर्ष करें,

आने वाला कल बनेगा जन्नत का डोर है।

 भक्ति भावना का होगा एक जोड़ है।


 इंसानियत बाग बगीचों में फूलने वाला एक कली है।

 सूर्य का ऊर्जावान किरन  मिलने पर,

मिल जाते सुगंधित फूलों का लड़ी है।

कविता -वीर सिपाही

 वीर सिपाही


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स्वतंत्रता की लड़ाई लड़े वे वीर सिपाही थे।

कूद पड़े जंग के मैदान में अंग्रजों के तबाही थे।

हर मुश्किल कड़ी में हार नहीं माने,

ओ तो भारत माता के सिपाही थे।


बांध कफ़न  लड़ते रहे जंग के मैदान में।

गोलियों की बमबारी करते रहे अंग्रेजों के गोदाम में।

डटकर खूब मस्तानी होली खेल,

आगे बढ़ते रहे जंग के मैदान में।


हर जवान के बोल में करो या मरो का नारा था। 

एक एक कर दुश्मनों को धूल चटा,

अंग्रेजों ने घुटने के दम से हारा था।

चुन -चुन कर बंदूक से छली वीरों ने मारा था।


साहस बुलंदियों में तन को सींचे थे।

जन -जन स्वतंत्रत  सेनानी बड़ा अपने साथ खींचे थे।

सबके मन में आजादी का विश्वास जगाने,

हर कोशिश काम किए थे।


स्वदेशी वस्तु अपना महत्मा की गूंज थी।

विदेशी वस्तुओं को जला भून दी थी।

हर एक तरकीब अपनाएं आजादी के लिए

हर के वीरों में स्वतन्त्रता की गूंज थी।


कैसे चुप बैठ सकते थे।

 अंग्रेजों के बड़े अत्याचार थे ।

जुल्मों की घड़ा भर चुके थे पापचार से।

झुकने नहीं दिए आजादी कि झंडा,

 ओ तो भारत माता के वीर सिपाही थे।

हर मुश्किल में हार नहीं माने,

ओ तो भारत माता के वीर सिपाही थे।










Moral stories (in hindi)मैना रानी

 Moral stories -मैना रानी


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 एक समय की बात है मैंना रानी बहुत ही फुर्तीली थी ।वह मैंना राजा के साथ में खुशनुमा जीवन व्यतीत कर रही थी ।समय गुजरता गया मैंना रानी के 4 बच्चे हुए जो अत्यंत सुंदर थे। मैंना रानी अपने बच्चों को चारा ला -ला कर खिलाती। चिड़िया बच्चे चू -चू कर अपने मां के चोच से खाते हैं ।

एक बार की बात है पूरे जंगल में आग लग गई मैंना राजा यह देखकर मैंना रानी से बोला की रानी चलो अब अपने बच्चों को लेकर दूसरे जंगल में अपना घर बसाएंगे ।मैना रानी बोली नहीं मैं अभी उड़ने में सक्षम नहीं हूं। मेरे बच्चों का आंख नहीं खुला है। मैंना राजा जंगल को तेजी से जलते हुए देखकर वहां से अपने परिवार को छोड़कर वहां से भाग गया। मैंना रानी बहुत दुखी हुई और भगवान की प्रार्थना करते- करते अपने बच्चों को अपने पंख में समेटे वहीं रुक गई। मैना रानी राम- राम का रट लगाए, पूरे जलते हुए जंगल को देखने लगी ।एवं भगवान से विनती करने लगी कि वे उनकी रक्षा करें। भगवान ही बड़े कृपालु हैं पूरे जंगल जल गया पर मैंना रानी जिस जगह में रहती थी ।वहां एक चिंगारी भी नहीं आई ।पूरा जंगल शांत हो गया।

 मैंना रानी भगवान को धन्यवाद की और अपने अपने बच्चों को गले लगा ली।

उसके बाद मैं ना राजा सोचा कि चलो अब क्या हाल-चाल है। मेरे परिवार का देख आता हूं । उसी जंगल में आए तो देखा कि मैंना रानी अपने बच्चे चिड़ियों को उड़ा रही हैं। अपने बच्चों को प्यार कर रही थी। तो मैंना राजा देख कर खुश हो गया कि मेरा परिवार सही सलामत है। फिर मैंना रानी के पास आया और बोलने लगा कि मेरे बच्चों को दो मैं अपने बच्चों साथ ले जाऊंगा । मैंना रानी बोली कि आप किसलिए आए हो जिस समय अपने बच्चों का ख्याल रखना था ।उस समय तो चले गए थे। अपने बच्चे को मरते हुए छोड़कर। तो अब तुम्हारा बच्चा कैसे हुआ? यह तो मेरा बच्चा है।

 मैं अपने बच्चे को बच्चे के साथ रहूंगी।मैना राजा सरपंच बुलाने की ठान ली। और पंचायत में न्याय मांगने लगा ।कि यह मेरा बच्चा है मुझे वापस कर दो। तो सरपंच भी अपने न्याय पूर्ण करने में असमर्थ थे। उन लोग  बहुत ही सोचने में मजबूत हो गए  थे। कि यह बच्चा कैसे किसको दिया जाए? आखिर सरपंच   भी क्या करता भला। था तो मैंने राजा का ही बच्चा। तो मैंने राजा का बच्चा उसे वापस दे दिया गया। और मैंना रानी फूट-फूट कर रोने लगी ।और अपनी प्राण त्याग दी।

सायरी - लव फिलिंग

Love sayari

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  • गोरे मुखड़े पे काला सा तिल
  • मेरे हाथों से फिसल गया मेरा दिल।

  • काली काली रेशम जैसी बाल।
  • चलते हो जैसे हिरनी की चाल।
  • कहां हो नहीं दिख रहे,
  • अब बता दो अपना हाल।

  • नीली आंखें में काला काजल।
  • पक्षी उड़ रहे मंडरा रहे बादल।

  • चांद की रोशनी में खिली -खिली सी लगती हो।
  • बोलती हो ऐसे मिली मिली सी लगती हो।

  •  राहों में तुझसे मुलाकात हो जाएं
  • कुछ हम सुने कुछ तुम्हारा बात हो जाएं।
  • चले धीरे -धीरे, साथ -साथ
  • थोड़ा दिल का एहसास हो जाएं।

  • कुछ कुछ होने का एहसास क्या है
  • तुम दूर हो लेकिन दिल के पास में क्या है।
  • तुम न बोले गुनगुनाने ऐसा खास क्या है।
  • तुम न मिले लेकिन मन में आस क्या है।

  • शब्दों से ब्या नहीं कर सकते।
  • दिल में दबा के नहीं रख सकते।
  • तुझे बिना बताएं रह नहीं सकते।
  • तेरी बेवफ़ाई सह नहीं सकते।

  • यादों में बस तुझे पाते हैं।
  • सपनो में तेरे पास आते हैं
  • दिनों में तेरा गीत गुनगुनाते है।
  • मन तेरे हवाले आस जगाते।


कविता - डर (नैतिक विचार)

कविता - डर




 डर कामयाबी की सबसे बड़ी बाधा है।

 डर से ही मंजिल दूर सक्सेस आधा है।

 अलग से फीलिंग घुटन खाई जाती है।

 चलते चलते थक फकीर राह न पाती है


अंदर से चूर चुर विश्वास छिड़ हो जाती है ।

हताश मन से डर अपना साम्राज्य जमाती है।

 डर हमारे पैरों को जंजीर बांधे बैठा है ।

ना ऊपर उठने देता एक साए का घेरा है ।


डर से  ही बेरोजगारी घूमते फिरते हैं।

 खुद का हौसला टूटा गवर्नमेंट जॉब ढूंढते फिरते हैं।

डर से ही इंसान सही राह का चयन नहीं कर पाता है।

अपना रास्ता छोड़ बुराई की राह में भटक जाता है।


डर अंदर के शैतान को जगाता है।

मन बेचैन नकरात्मक विचार को बुलाता है।


कविता - आओ एक पेड़ लगाएं


आओ एक पेड़ लगाएं


आओ एक पेड़ लगाएं



 प्रकृति को बचाएं आओ एक पेड़ लगाएं।

 पर्यावरण हरा-भरा बनाए।

 लकड़हारा को जगाए 


आओ एक पेड़ लगाएं ।

प्रदूषण दूर हो जाता है ।


शुद्ध हवा आता है ।

मन शांति निर्मल शुभ विचार आता है ।


हरे भरे पेड़ पौधे देख कर मन हर्षित हो जाता है ।

जीव जंतु का आवास बनाए ।

आओ एक पेड़ लगाएं ।


कल्पना है मन का हरे-भरे रहे पर्यावरण ।

शुद्ध हवा हो रहे आनंदमई वातावरण ।


रंगीन दिखे नजारा वन का।

रोगमुक्त हो जन -जन का।


 पेड़ में जीवन टिका है ।

जीव जंतुओं मानव का यह जीविका  है ।


वन को कटने से बचाएं। 

आओ एक पेड़ लगाएं।


 पेड़ ऑक्सीजन प्रदायिनी है ।

कितना भी मारो पत्थर से फिर भी क्षमा दायिनी है ।


प्राचीन काल से ही यह इसे पूजा जाता है।

 ये ही हम सबका मूल्य धरोहर है।

 इसके अलावा दूजा नहीं आता है।


आओ पर्यावरण विस्तार करें।

स्वस्थ भारत अभियान करें।


प्रकृति को बचाएं।

आओ एक पेड़ लगाएं।

 आओ एक पेड़ लगाएं।

कविता - गर्मी के दिन

गर्मी का दिन

यह कविता गर्मी के दिनों का चित्रण किया गया है।और अधिक कविता,सायरी,कहानियां पाने के लिए हमारे blog में search करें https://www.blogger.com/blog/post/ed




 गर्मी के दिनों में पसीने से भिंगा तन।

थकावट में कमजोर कर गई मन।

 सूरज के बढ़ती ताप से आह कर गई।

 छोटे - छोटे पौधे बिन पानी के मर गई।

 थोड़ी सी हवा आए तो राहत मिल जाए ।

थोड़ा सा भी पत्ता हिल जाए सुकून मिल जाए।

 वर्कर भी इस तेज गर्मी में हैरान हैं।

 ऐसा लग रहा कि इस शरीर की एनर्जी को,

 छीन रहा कोई शैतान है ।

 कोयल की कुहू कुहू आवाज मन को लुभा रही है।

 गर्मी के थकान को मिटा रही है ।

 गन्ना का जूस प्यास बुझा रही है।

पका हुआ आम एनर्जी बढ़ा रही है।

 इस मौसम का फल गर्मी को भगा रही है ।

थोड़ी-थोड़ी गर्मी को कम करा  रही है।

कविता - तिरंगा

तिरंगा  

 

तिरंगा



 स्वतंत्रता की मांग लेगा लहराता तिरंगा ।

विकासशील भारत को गौरव शान रखकर फहराता तिरंगा ।

वीर शहीदों का गौरव शान है तिरंगा।

 इस मुल्क का पहचान है तिरंगा।

 अंग्रेजों से सर उठा कर जीना सिखाता है तिरंगा ।

आकाश की ऊंचाई ,हिमालय की चोटी में 

वीर जवानों की मुस्कान में लहराता है तिरंगा ।

भारत माता का सुल्तान है तिरंगा।

 शेर की दहाड़ कर सर ताज है तिरंगा ।

इंसानियत का ईमान है तिरंगा।

 हम सबका जान है तिरंगा।

 भारत वासियों का मान है तिरंगा ।

राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह गौरव गान है तिरंगा।

तेरे प्यार को महसूस करते है

लव फिलिंग भावनात्मक स्वरचित  रचना है । और भी नैतिक कविता या कहानियां,सायरी आदि के लिए हमारे ब्लॉग में सर्च करे।

तेरे प्यार को महसूस करते है।



 तेरी प्यार को महसूस करते हैं।

 पहली मुलाकात को महसूस करते हैं।

 कोई कुछ भी समझे मुझे परवाह नहीं,

  मेरा प्यार है कोई अफवाह नहीं।


तेरे इजहार को महसूस करते है

तेरे प्यार को महसूस करते है।


ईश्वर के लेखों में प्यार तो बंधते है।

पवन के झोंकों में महसूस तुझे करते है।

तेरे विश्वास में खुद को देखते है,

तेरे प्यार को महसूस करते हैं।

तेरे  इजहार को महसूस करते है।


थोड़ी आहट में तेरी खुशबू आने लगती है।

तेरे यादों की नशा धीरे - धीरे रंगती है।

तेरे याद को रूबा रू करते है।


तेरे प्यार को  महसूस करते है।

तेरे इकरार को महसूस करते है।


धीमी सी आवाज में पहचान हो जाती है।

भौरो की गान तान छेड़ जाती है।

तेरे ख्यालों में मन उमंग बिखेर जाती है।

तेरे प्यार को कबूल करते है,


तेरे प्यार को महसूस करते हैं।

पहली दीदार को महसूस करते है।


बागों में भी प्यार का झोंका बहता।

मन तेरे यादों में खोया रहता।

तेरे आने के आस में हर सितम सहते है।


तेरे प्यार को महसूस करते है।

पहली मुलाकात को महसूस करते है।






Moral stories (in hindi)अमीरी का घमंड

अमीरी का घमंड


मेहनत से ही रोटी मिलती है।


विषय - पैसों का महत्व। 

व्याख्या -।         1step

एक शहर में राजू नाम का एक लड़का था। वह अमीर बाप का इकलौता बेटा था। राजू  का पालन - पोषण इतने अच्छे से हुआ था कि वह बड़ों का आदर एवम् छोटे का सम्मान करना भूल गया था। राजू को न कभी दुख का एहसास था नहीं ही उसे पैसों का महत्व समझ आता। वह इतना बिगड़ गया था कि अपने पापा के पैसों का सही उपयोग करना भूल गया था।उसके पापा रामनारायण हमेशा परेशान थे।वह सोचता कि मेरा बेटा कुछ करता तो मेरा नाम रोशन होता।लेकिन रामनारायण का सोचना सपनों के जैसा हो गया था। एक दिन की बात है रामू अपने जन्मदिन के दिन अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया। जहां उन लोग गया वहां दूर - दूर से जंगल ही नजर आ रही थी।चारों तरफ हरियाली का माहौल था।फूलों की खुशबू जंगल को और मनोरमा बना रहे थे। रामू और उसके दोस्त इतना खो गए कि उसे समय का पता ही नहीं चला।    

           2nd step


शाम होने लगी चिड़ियां भी अपनी घोसला ढूंढने लगी । सूर्यास्त होने लगी थी। रामू और उसके दोस्त चलते - चलते जंगल के बहुत अंदर चले गए थे।वे रास्ता भटक गए थे। इधर - उधर भौचक्का सभी लोग  रास्ता ढूंढने में लग गए थे। कुछ समझ नहीं आ रहा था। आखिर रास्ता जो भटक गए थे। फिर थक हार कर एक दूसरे से बात करके अपने राशन का इंतजाम करने लगे। 

उसी जंगल के किनारे एक गांव था जिसमें हसरत नाम का राजा रहता था। जो अत्यंत प्रशंसनीय एवं  चतुर दिमाग वाला  था ।और वह हमेशा दूसरों के प्रति सदभाव एवं मददगार राजा था ।वह अपने प्रजा के हित के लिए सब कुछ करता था।वही पर कुछ लुटेरे  राजा के खजाने में से कुछ हीरे - जवाहरात को चुरा लिए और वही जंगल में आकर जो राजू के दोस्त थे वहीं पर आकर एक दूसरे से डिस्कस करके वहीं पर बांटने लगे राजा के सिपाही आते देख  डाकू  वहां से भाग गए तथा राजा के सैनिक  राजू और उसके दोस्तों को देख उन्हीं लोगों को डाकू समझ पकड़ लिया। और  राजा को के पास ले गया।


              3step

राजा, राजू और उसके दोस्त को देख सजा सुनाने की ठानी।लेकिन राजू को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे सब यही बोल रहे थे कि हम चोर नहीं है पर यकीन किसी ने नहीं किया। राजा वे सब को मजदूर का काम कराने लगे।वे सब को अलग - अलग काम दिया गया था। शुरू में तो राजू आलसी जैसा काम करने लगा।तो सजा में खाना कम देते।यह देख राजू पूरी लगना मेहनत से काम करने लगा ।और उसे अच्छे से खाना भी मिलने लगी। तथा उसे ज्यादा काम करता तो उसे काम के बदले में दो-चार पैसे भी मिल जाते। अब धीरे - धीरे रामू को मजदूरों की हालत देख रोटी की कीमत जानने लगा। वह सोचने लगा कि दो लिवाला रोटी के लिए मजदूर दिन रात मेहनत करते है। एक दिन रामू बगीचे में  पानी दे रहा था।वहां पर राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाग बगीचों के फूलों का आनंद उठा रही  थी। उस देख देखकर फूलों की क्यारियों की तारीफ करने लगी । कि मनोरमा फूलों की खुशबू है कितना सुंदर है यह मौसम नजारा है।

                  4 step

 वहीं पर राजू की नजर राजकुमारी पड़ जाती है तो वह मंत्रमुग्ध हो जाता है क्योंकि राजकुमारी थी रेशमी बाल थे सुंदर शुशील थी। राजकुमारी भी राजू को देखी। कुछ समय बाद एक दूसरे का पहचान हो गई कुछ दिनों में अच्छे दोस्त बन गए।इधर राजू के पापा को उसके उपर पहाड़ टूट पड़ी थी वहां हमेशा चिंता हरा शिवम अपने पुत्र को खोजने के लिए सभी जगह हर तरह के प्रयास करते एक दिन उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना उसके दोस्तों से के माता पिता के पास जाकर पूछ लिया जाए तो वह वहां गए तो पता चला कि पिकनिक में गए फिर वापिस नहीं आए। 

 फिर नारायण जंगल जाने के लिए जरा सा भी देर नहीं किए उसी रास्ता में जाते जाते राजा के महल पहुंच गए तो गांव वालों से पता चला कि यहां पर कुछ लड़के कुछ ही दिनों में आए हैं। जो चोरी के नाम से पकड़ा गए हैं।

                      5step

रामनारायण राजा के पास सिपाहियों के साथ गए । राजू वहीं पर साफ - सफाई का काम कर रहा था। वह अपने पिता को देख तुरंत उसको पहचान लिया और उसके पास जाकर पूरी अपनी कहानी बताई। तो राजा ने कहा कि चलो इस पर हम एक बार फिर से विचार करते हैं तो देखा कि वहां जाकर उसी  जंगल में जिस जगह रामू डाकुओं को देखा था जहां डाकू खजाने को बांट रहे थे वहीं पर छानबीन करने पर उसे जो खाजाना जो आम के वृक्ष के नीचे दबाए हुए थे वह मिल गया । और राजू को रिहा कर दिया। और यह बिना गलती के जो उसको सजा मिली थी उसके बदले में राजू को कुछ मांगने के लिए कहा। तो राजू ने झिझकते दिल से तुरंत उसकी राजकुमारी की हाथ मांग ली। राजा पहले सोचा मगर रामू की आदत को इतना दिन में उसे पूरी तरह से समझ लिया था। तो फिर क्या था।

पैसों का महत्व

  राजकुमारी और राजू का धूमधाम से विवाह कर दिया गया।

 फिर राजू अपने शहर में वापस आ गया ।तथा अपने पिता का भी महत्व समझ गया, कि मेरे पिता मेरे लिए अपनी जिंदगी मेहनत करके मेरा पालन - पोषण किया है। और धूमधाम से अपनी जिंदगी का जीवन यापन करने लगा।

Best motivation (in hindi)



Best motivation

Best motivation

जिंदगी की लेखा - जोखा

  • जिंदगी की लेखा जोखा में कर्म की गति भूल जाते हैं।
  • जब कर्म को सामान ना हो तो गंदी आदतों में घुल मिल जाते हैं।
  •  जिंदगी एक क्षण को कुछ और दूसरे क्षण में कुछ और हो जाती है।
  •  जो हरदम खुशी की तलाश में भागे अनसुलझे गेम को साथ पाती है ।
  • लगन प्रयास से गेम सुलझ जाए तो थोड़ी खुशी मिल जाती है ।
  • दो मिनट की खुशी तीसरे मिनट में दूसरी अनसुलझे गेम दे जाती है।
  •  जिंदगी की अनसुलझे गेम को खुद वक्त सुलझाती जाती है ।
  • अच्छे कर्म की हवस शुद्ध मन लहराती है ।
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  • खुद की कर्म ही सही गलत का लेख लिखती है।
  •  सोए हुए मन को मार कर जगाती है ।
  • लेखा-जोखा में फंसे जिंदगी की तिनका।
  •  जग मनोहर में मोहित हो जाती है।
  •  अपनी मंजिल की राह छोड़ वन में भटक जाती ।
  •  कोई हमेशा रो नही सकती।
  • न कोई हमेशा हंस नहीं सकती है।
  •  अति की मार छोटी सी जिंदगी विचलित रह सकती है ।
  •  जिंदगी की भूल भुलैया में सबको सुलझाना पड़ता है।
  •  जो कभी हार ना माने वही अपनी जीवन लड़ता है ।
  • एक गेम के दो खिलाड़ी दोनों जीतना चाहता है।
  •  जो हर मुश्किल को सामना आसान बनाए वही मंजिल या विनर कहलाता है ।
  • जिंदगी की लेखा जोखा में सब सहना पड़ता है ।
  • दुश्मनों को गले लगाकर उसके साथ ही रहना पड़ता है।

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Moral stories (in hindi)

रूपा

रूपा (moral stories in hindi)

विषय - इसमें एक युवती कन्या कि समझदारी का वर्णन है।


 एक गांव में रूपा नाम कि लड़की थी ।वह अत्यंत बुद्धिमान एवं सभी कलाओं में पारंगत थी।रूपा की उसके मां के सिवाय दुनिया में कोई नहीं था। वह अपनी मां की खूब सेवा करती और उससे बहुत प्यार करती थी। उसकी मां रोज काम में जाती थी । रूपा युवती थी।इसलिए उसके घर में कोई न कोई उसे देखने के लिए आया करते थे।

किन्तु रुपा और उसकी मां गरीबी की परिस्थिति से सामना कर रहे थे।जिसके कारण मेहमान आते देखते और चले जाते थे।कोई उससे शादी के लिए नहीं बोलते थे।  सबकी अपनी अलग - अलग मांग थी कोई गाड़ी मांगते तो कोई सोने की अंगूठी इस तरह से उनकी दिन गुजरती गई । उसकी मां बहुत दुखी थी । कि कब अपनी बेटी का हाथ पीला करें।एक दिन की बात है रूपा रोज की तरह अकेली घर में थी ।उसकी मां काम में चली गई थी।उसके घर मे दूर गांव से बहुत अच्छे घर के मेहमान आए।

 लड़का बहुत शुशील एवम् पढ़ा - लिखा चतुर था। उसके पापा चाचा, चार - पांच रुपा को देखने आए । सभी मेहमान बाहर में बैठे थे । रूपा घर अंदर में सबके लिए चाय बनाकर लाई। सभी चाय पिए ।लेकिन मेहमान दूर से आने के वजह से थक गए थे । और उन्हें तेज भूख लगी थी। तो रूपा को खाना बनाने के लिए बोले। रूपा सोच में डूब गई की राशन समाप्त है । क्या करूं? फिर उसने अन्दर में कुछ ढूंढने लगी मानो कुछ छुपाई हो। एक टुखनी में चावल स छाटा हुआ धान को लाई ओर उसे कूटने के लिए तैयार हो गई। वह हाथ के कंगन को निकाल दी ताकि बाहर आवाज न आए। उसके बाद धान कूटकर चावल साफ करके खाना बनाने लगी। अब सब्जी बनाने के लिए सब्जी की तलाश की तो मिर्चा नहीं था । और कुछ सब्जी भी नहीं थी । तो उसने अपनी लगाई हुई छोटी मिर्ची या काली तीखी मिर्च को तोड़ ली । वहीं पर छोटी टमाटर कंदा भाजी तोड़ ले आयी। फिर स्वादिष्ट खाना बनाकर तैयार कर ली। अब अतिथियों को अंदर बुला खाना के लिए बैठाकर भोजन कराई । मेहमान को पता भी नहीं चला कि उसके घर में राशन का समान नहीं था। इस प्रकार रूपा आए अतिथियों का दिल जीत ली। और उसे पसंद कर धूम - धाम से शादी किए । रूपा की मां के आंखो में खुशी के आंसू छलक आए।क्योंकि  जितना वहीं सोची नहीं थी उससे अच्छा उसे दमांद मिल गई थी।


और बोली सच में सब्र का फल मीठा होता है।

कविता - मन चाह रही

मन चाह रही

मन की भावनात्मक सपना मन चाह रही poem है


 मन चाह रहीआसमान के तारे तोड़ लूं।

 बिखेर दूं इस धरती के बहार में।

 स्वर्ग को इस भूमि में ले लाऊं।

 पारिजात पेड़ के खुशबू बिछाउं।

 परियों के साथ घूमे फिरे ।

देखें अपने इस जहां का सुंदर-सुंदर हीरे ।

वृक्षों में जादुई फल लगा हो।

 पानी में अमृत जल घुला हो।

 बुढ़ापा हमें छू ना पाए ।

अपनी जिंदगी स्वर्ग के परियों के साथ बिताए ।

फूलों के पत्ते चमकीला हो।

 फूल - फुले वह सुनहरा हो।

 सोने के महल में सब का जीवन हो।

 सबके घर में राजा और रानी का बसेरा हो ।

हर एक बच्चा परी - परा बने।

 चांद सितारे के साथ खेलें।

 अपना धरती चमकीला हो ।

चाहूं मैं बहुत रंगीला हो।

 आसमान में घूमने के लिए परियों जैसा पंख रहे ।

सबके मन में प्रेम का प्रवाह बहे।

  मन चाह रही आसमा की तारे तोड़ लूं।

 चमकीला इस जहां में जन्नत बिखेर दूं।

दिल की दरिया

दिल की दरिया

दिल की दरिया


 दिल की दरिया में तेरी छवि दिखला दे।

ए मौसम तू उससे मुझे मिला दे।


जो बागों की फुलझड़ी हो।

जो खुशबुओं फूलों की कली हो।

बदलती दिनों में ओ बदल जाए न कहीं।

रहे हर दम मेरे साथ जब तक हो सांस यही।

दिल की दरिया में..



नयनों की काजल कान में बाली

हाथों की कंगन जुल्फे रेशम सी काली।

मुखड़ा दिखे चांद का टुकड़ा हो

उसके आने से आ जाती मौसम कि रुतबा हो।

दिल की दरिया में....


ठंडी ठंडी हवाओं में उसकी झलक दिखाई दे।

ए मौसम तू हमको उससे मिलाई दे।

प्यार का तरजुबा  मुझे सीखा दे।

कुदरत तेरी करिश्मा एक नूर दिला दे।

दिल की दरिया में..


होंठो में मीठी सी मुस्कान हो।

सादगी से लिपटी दिल में प्रेम का विमान हो।

सोनपरी जैसी भाव में प्रतिभा हो।

अलग ऐसी आ जाए मेरी जिंदगी में मेरी नसिबा हो।


दिल की दरिया में तेरी छवि दिखला दे।

ए मौसम तू उससे मुझे मिला दे ।






लचीली कानून

लचीली कानून

लचीली कानून समाज की कुछ अनुभव बातों को संयोजित की गई है




आज की कानून अजीबों से हो गई है।

हर एक नियम कायदा लगती नई है।

डूब्लिकेट सर्टिफिकेट बन जाते है एमबीबीएस। 

मरीजों पर होती अत्याचार न होती कोई केश।

शराबी इंसान खुले आम दारू पीकर हंगामा खड़ा करता है।

बिना गलती के इंसान को मारता लड़ता फिरता है।

पब्लिक देखते रह जाती है ।

एक बूंद आंसू किसी की न बह जाती है।

मर्डर सबके सामने किया जाता है।

देखने वाला भी अंधा कहलाता है।

कैसी समाज की व्यवस्था है।

कमजोर भले इंसान की हो रही दुर्दशा है।

हमारी कानून कच्ची होती जा रही है।

पैसों वाला की मस्ती होती जा रही है।

गरीबों का राशन अमीर खाता है।

जमीन भी जबरदस्ती कब्जा कर मोज उड़ाता है।

कानून कैसी बदलती जा रही है।

लचीली इरादे चंचलती होती जा रही है।

गरीबों की कल्याण के लिए कोई नियम बनाता।

फायदा दलाल कोई और उठाता।

न्याय की मुट्ठी बंधी पड़ी है।

न्याय की देवी हंसी खड़ी है।

लचीली कानून कैसी दिन दिखाई है।

महंगा वस्तु पानी भी कीमत में बिक आई है।

कुटीर उद्योग की विलुप्ति की विचार पर है।

प्रदूषण से भरी कारखाने उन्नति के कगार पर है।

बहुमूल्य वन उजड़ गई।

कारखानों की बस्ती बिखर गई।


अगर यह बातें आपको सही लगी हो तो अपने फ्रेंड्स के साथ 

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कविता - उड़ान

 उड़ान

उड़ान हौसले और बुलंदियों की



उड़ान भर दे।

 मन में एक ताकत हौसले की उड़ान भर दे।

हर  एक कोशिश की कामयाब मंजिल की अंजाम भर दे।


एक एक राह में संकट की पनोती आती रहेगी।

समुद्र की लहरों में नाव डगमगाती रहेगी।

उस पतवार की लगन प्रयास का,

 तल तट में आने का मुकाम भर दे। 

लगन प्रयास का उड़ान भर दें।


लकड़हारा जंगल में भटक रास्ता की खोज में

 सही मार्ग दिखाने का विश्वास भर दे।

मन में आश की एक बूंद उड़ान भर दें।


मोरनी सोच के बैठे वर्षा की तलाश में।

लहराते पंखों की वर्षा रानी रंगीन मिजाज भर दे।

तलाशी की उड़ान में अपनी एक अंदाज भर दे।


कौआ भी दूसरे पंछी को देख सुंदर होना चाहे।

उसके मन में आजादी की खुशी का एहसास भर दे।

एक उड़ान जैसा है वैसा ठीक है का व्यवहार भर दे।


स्वार्थी परिंदे के अहम टूट चूर -  चूर कर दे।

नि : स्वार्थ की नगरी नूर - नूर  कर दे।

मंजिल की 

उड़ान की सच्ची मस्ती कबूल कर दे।


संघर्ष कि उड़ान भरपूर कर दे।

मंजिल हाथ आ मंजूर कर दे।

उड़ान भर दे ।

मन में ताकत होंसले की उड़ान भर दे।


परमात्मा

परमात्मा हमें  दिखाई क्यों नहीं देता?

परमात्मा


परमात्मा प्रकाशवान अदृश्य दिखाई देने वाली एक बड़ी शक्ति है। जिससे आम इंसान अपने साधारण नेत्रों से नहीं देख सकते। इसलिए परमात्मा अपने ही अंश को पृथ्वी में जनकल्याण व पापाचार विमुक्त धरती बनाने के लिए यहां भगवान अवतरित होती है। और सारे पाप को खत्म कर यहां से अंतर्ध्यान हो जाती है ।

अगर परमात्मा का अनुभव करना हो तो मेरी एक कहा जरूर मानना।क्योंकि मैं अनुभव करती हूं, भगवान है ।अगर नहीं होती तो इस सृष्टि का रचना कौन करता। मालिक कौन कहलाता ।

परमात्मा की अनुभूति कैसे करें? 

भगवान में आस्था रखें अगर आप किसी मुसीबत में फंसे होते हैं।  तो आंखें बंद कर भगवान की स्तुति करें।मुझे यकीन है, भगवान वह मुसीबत को हटाने के लिए किसी ना किसी को आपके पास भेज देंगे। अगर कुछ भी कारण से आपका  मन दुखी है, तो आप कोई भजन या कीर्तन कर ले। आपकी मन साफ चिंता मुक्त हो जाएगी।

 कोई भी समस्या का समाधान ढूंढ रहे हैं, तो धैर्य के साथ एकांत बैठ जाएं। और आराम से हल निकाले आपको कोई ना कोई रास्ता जरूर मिल जाएगी ।

मन को द्वेष रहित करें-

अगर आपके मन में किसी के प्रति जलन या द्वेष की भावना आए।तो अपनी तुलना किसी से ना करें।क्योंकि जो आपके पास है वह किसी के पास नहीं जो आप कर सकते हैं वह कोई और नहीं कर सकता है। अपने मन में यह ठान ले कि  आप सबसे अच्छे व अलग है।

परमात्मा कहां रहता है-

 परमात्मा कण कण में निवास करते हैं। हमारे अच्छे व बुरे कर्म का निरीक्षण करता है ।हमें संकेत देता है, किसी न किसी माध्यम से कि आप यह ना करें। यह गलत काम है, आप यह करें तो आप इसमें आगे बढ़ जाएंगे। परमात्मा अदृश्य रूप में हमारे पास रहते हैं। वह हमेशा हमें उंगली पकड़कर हमें चलना सिखाता रहता है। लेकिन हम ईश्वर के संकेत को मन बुद्धि के कारण नहीं समझ पाते हैं।

 हम अपनी ज्ञान के धीरे-धीरे जागते हैं।



अपनी ज्ञान कैसे जगाएं -

 योगा मेडिटेशन या और किसी अच्छे माध्यम से तो हमें ईश्वर की अनुभूति होने लगती है। हमें ईश्वर की छाया प्रतिबिंब दिखाई देने लगती है। हमें ऐसा लगने लगती है कि ईश्वर हमारे पास है ।हमसे बात कर रहा है।

 खुशी की अनुभूति कब होती है-

  1.  हम किसी जरूरतमंद को दान करें।
  2.  अगर कोई मुसीबत में फंसा हो तो हम उसकी मदद करने की पूरी कोशिश करें।
  3.  किसी भूखे जीव जंतु को खाना खिलाएं।
  4.  प्यासे को पानी पिलाएं
  5.  बुजुर्गों की सेवा करें ।
  6. अपने माता-पिता की सेवा करें ।
  7. सास - ससुर को अपनी माता - पिता जान सेवा करें ।
  8. निस्वार्थ भाव से किसी को ज्ञान दे। उसे सही गलत में अंतर बताएं।
  9.  कोई भी में जबर्दस्ती गाली दे रहा है, तो उसे प्यार से बात करें। झगड़ा को प्यार से सुलझाएं।
  10.  नहीं समझता हो तो कुत्ता जैसा भोकने दे ।

जरूरी है

 कविता - सच्चाई की राह में चलना जरूरी है

कविता -सच्चाई की राह में चलना जरूरी है।


सच्चाई की राह में चलना जरूरी है।

 मन में नीति का बीज बोना जरूरी है।

 कब तक पुण्य का घड़ा चलता रहेगा ।

उसके लिए भी पूर्ण एकत्रित करना पड़ेगा ।


पाप की कसौटी में मन उतना- पुथला सा है।

 चेहरे की चमक उड़ी सुलझा -सुलझा सा है।

 हर वक्त जंजीर भरी तूफानों से लड़ना जरूरी है।

  गाड़ के नीति का झंडा आगे बढ़ना जरूरी है।


 मनोबल आशुतोष साहस को जगाना जरूरी है।

 मन मैला जीवन गंगा में धुलाना जरूरी है।

 तन के दीपक बिन तेल के जलाना जरूरी है।

 हो सके तो नीति  मानवता में जगाना जरूरी है।


 अच्छे विचार में धीरज की कदम चूमे हैं।

 सच्चे मानव ने इतिहास के पन्ने उलेटे हैं।

 ह्रदय में सच्चाई का अमृत छिड़कना जरूरी है।

 सच्चाई की राह में चलना जरूरी है।


 सच्चाई की राह में चलना जरूरी है।

सच्चाई की राह में चलना जरूरी है।

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कविता - मै हूं लक्ष्मी चंचल परी

  • 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • कविता  - मै हूं लक्ष्मी चंचल परी

  • मै हूं लक्ष्मी चंचल परी
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  •  मैं हूं लक्ष्मी चंचल परी,
  •  मैं अपनी मनमर्जी की मालकिन ना किसी से  डरी ।
  • जिसके घर में हो सत्य के निवास वहां मैं आती हूं ।
  • 🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚
  • झूठ का हो साया वहां से निकल जाती हूं।
  •  इधर- उधर मंडराती जहां ईमान की खुशबू आए वहां बैठ जाती हूं।
  • 🧚🧚🧚🧚🧚🧚🏻‍♀️🧚🧚🧚🧚🧚🧚
  •  मुझे चाहने वाले अहम को बुलाते हैं ।
  • लालच का नशा अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी चलाते है।
  • 🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚
  •   डगर - डगर    चले कर्म करते ,
  • उसके पास मै आने को तड़पती हूं ।
  • सत्कर्म के पुण्य में जड़े खुशी से बरसती हूं।
  •  मुझे भी एक बात का दुख लगती  है।
  •  जब इंसान बिना कर्म किए मेरे लिए तरसती है।
  • 🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚
  •  सबको देना चाहती हूं ।
  • मैं कामचोरों से मजबूर हूं ।
  • मै हूं लक्ष्मी  चंचल  परी बुराइयों से दूर हूं ।
  • 🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚
  • मैं अपना पग धीरे धीरे बढ़ाती हूं।
  •  जो मेरे परीक्षा में हो सफल सज्जन मन,
  •  उसके यहां  रहकर खुद  को सहराती हूं।
  • 🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚🧚
  • जहां पर हो श्री हरि का वास , 
  • वहां होती मेरी निवास।
  • जो श्रद्धा भक्ति से पूजते है।
  • वो धन्य -धन्य संपन्न घर भरते है।


Time is money

Time is  money

Positive thinking. Time is money


 अपने भविष्य को कैसे निखारे तो आइए इसके बारे में हम थोड़ी सी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। तो हम अपने भविष्य के लिए  हम पॉजिटिव सोच और अपने सही मार्ग कर्तव्य के बारे में अच्छे से जानकारी लेंगे तो हमें सही राह और फिर आनेवाले फ्यूचर में हमें सफलता की प्राप्ति होगी। अगर हम आज बैठे रहे तो हम कुछ भी काम नहीं कर पाएंगे।

 अगर आज उठेंगे तो कल हम अच्छे- अच्छे सपने देख पाएंगे ।और अपने इरादों को मजबूत कर पाएंगे। हमारे इरादे को मजबूत बनाने के लिए हमें  अपने वर्क पर फोकस करना पड़ेगा। और वर्क में फोकस करेंगे तो टाइम की भी हमें वैल्यू पता चलेगी।तो अपने फ्यूचर को ब्राइट बनाने के लिए हमें सबसे इंपॉर्टें बात है-

टाइम का महत्व -

हमें टाइम के महत्व के बारे में जानना है तो टाइम हमारे लिए हमारे जिंदगी की एक अटूट स्थान देती है। टाइम इज मनी टाइम ही हमें हमेशा खुशी ही नहीं देती है बल्कि हमें अपनी मंजिल तक भी पहुंचाती है। समय की कोई निश्चित गति नहीं है। समय स्थिर  नहीं है ।समय अपने दिन में चली जाती है।एक समय था बचपन का जिसमें हम खेलते थे ।खाते थे ,पीते थे।और जो भी मन में आए वह सब करते थे ।और एक समय था, हम लोगों की उम्र का। जिसमें हम अपने समय को बर्बाद करने में तुले रहते हैं।फेसबुक स्टॉग्राम आदि में खोए हुए हैं।

 टाइम से ही गुजरते गए। और मनोरंजन में इतने व्यस्त हो गए कि हम अपने कार्य में फोकस नहीं कर पाए।फिर आगे उम्र ढलती गई तो एक समय आया कि हम अपने परिवार में बिजी हो गए और अपने परिवार की अपने परिवार की जरूरत को पूरी करने में व्यस्त हो गए ।

और आगे आने वाले कल में अब एक दिन बुढ़ापा आया जिसमें हम बुढ़ापा में पीड़ित होकर अपने जितने भी दिनचर्या में कुछ भी किए हैं उसको सोचने लगे और एक समय आता है कि हम अपने यहां से हम अलविदा कह जाते हैं। तो समय भी एक समय का खेल है।

 समय में ही हमें बहुत बड़ी कीमत अदा करनी पड़ती है। जैसे कि एक समय था जो महाभारत का युद्ध खड़ा कराया ।और एक समय है आज इंसान भाग- दौड़ भरी जिंदगी में अपने आप को भूल गया है ।और वह रंगीन दुनिया में फंस चुका है। उसको खुद को पता नहीं वह क्या कर रहा है। उसके बारे में कुछ मालूम नहीं बस होता चला जाता है। और जो होता है वह पर नाम आता है तो मुंह खुला का खुला रह जाता है क्योंकि जो किया जाता है उसका उसी के जैसा फल आता है ।या अगर वह अच्छा किया रहता है तो उसका अच्छा फल, उसे हासिल होती है ।और अगर वह अच्छा नहीं किया रहता, तो उसका  बुरा परिणाम भुगतने को  मिल जाती है।

 तो इंसान डगमगा जाता है।इस परिस्थिति में इंसान को हमेशा अपने वर्कर पर ध्यान देना चाहिए।हमेशा कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। ताकि आने वाले कल में अपनी अच्छे - अच्छे  ही हमें प्राप्त प्राप्त हो तथा आने वाले कल को हम अच्छी तरह से खुशनुमा  बना सके ।

जैसे कि हर एक एक व्यक्ति कि मन की भी प्रॉब्लम होती है ।इंसान पैसों के पीछे इतना भागता है, इतना भागता है कि समय का वैल्यू ही भूल जाता है। वह समझता है कि पैसा ही सब कुछ है, लेकिन पैसा कमाने के चक्कर में अपने जिंदगी में जो हैप्पी रहना चाहिए था ,उसको जो आनंद का अनुभव करना चाहिए था ,उसे घूमना फिरना चाहिए था, पूरा पूरा दुनिया दुनिया को अपनी नजरों से देखना चाहिए था।

 या कुछ अच्छे पल का अनुभव करना चाहिए था। वह सब भूलकर  भागा -भागा फिरता है। हमेशा मुश्किलों से घिरा ही रहता है।

और समय किसी के पल्ले नहीं पड़ता। एवम् समय निकलता जाता है। और बाद में किसी कामयाब इंसान को है हंसते देखता है तो उसे जलन फिल होती है।

आइए इसे  एक कहानी के अनुसार और अधिक जानें-

नैतिक छोटी कहानी

समय का महत्व


एक गांव में राजा नाम का एक लड़का रहता था। वह अत्यंत आलसी एवं कामचोर था। वह अपने कार्य को पूरी तरीके से नहीं करता, बस समय का ही इंतजार करता रहता था। वह सोचता कि कल करूंगा -कल करूंगा और अपने काम को इसी तरह से पीछे छोड़ते जाता था। तो उसके माता-पिता यह बात को उस को समझाते -समझाते थक गए थे ।

कि जो करना है वह आज करो। लेकिन राजा कल कर लूंगा अपना काम करके घूमने निकल जाता था। लड़का उस बात को इग्नोर कर देता था।

 और वह अपने खेलने कूदने में ही व्यस्त हो जाता था धीरे-धीरे दिन गुजरता गया और राजा बड़ा होता गया एक दिन ऐसा आया कि वह बड़ा हो गया जिम्मेदारियां उसके कंधे आने को थी।

लेकिन राजा बड़ा होने के साथ - साथ और बिगड़ता गया बुरे संगत में फंसकर अपने समय को बुरे प्रभाव में धकेलता गया।

एक दिन ऐसा आया कि उसका पापा जो बुजुर्ग हो  चुके थे। उसका अंतिम दिन के कगार में था।

  वह भगवान के पास जाने से पहले अपने बेटा को एक सबक सिखाना चाहता था।

 कि समय का महत्व क्या है?

 वह अपने बेटा को बुलाकर खेती करना,खेती करने में लगा दिया।   राजा वहां खेती करने लगा ।और वहां देखा कि खेती में इतने ज्यादा मुनाफा आया कि वह आकर अपने पिता को बताने ही वाला  था। उसके आने से पहले उसका पिता देहांत हो गया था। तो उसी समय समझ आया कि आज मैं काबिल नहीं होता बना होता तो मेरा क्या होता अगर मैं खेती-बाड़ी सीखा नहीं रहता तो मैं आज मेरा दयनीय दशा होता। 

और मै अपनी जिंदगी में रोता ही रहता। मुझको सम्हालने वाला कोई नहीं होता । मुझे छोड़ सब चले जाते।

 मै एक- एक दाने को तरसता रहता ।अपनी मम्मी को क्या खिलाता । और आगे आने वाले कल में मैं कैसे रहता ।मैं हमेशा बुराइयों की संगत में  बिगड़ता जा रहा था ।

मैं समय का वैल्यू ही समझ नहीं पा रहा था ।और आज मुझे समझ में आया कि काम करने से ही घर परिवार चलता है न कि समय इंतजार करते रहने से कुछ मिलता है। और समय का वैल्यू ही मुझे समझ में नहीं  आता। 

 आज पिताजी का देहांत हो गया । अगर इसके पहले अगर में कुछ अपने पापा से सीखा नहीं रहता,तो मैं अपनी गरीबी की स्थिति में आ जाता।और अपने दिनचर्या में कुछ नहीं कर पाता और ऐसे ही कामचोर बना रहता।



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धन्यवाद 🙏💐💐💐💐💐💐💐

LOVE LIFE

 प्रेम वर्णन

LOVE LIFE



नि: स्वार्थ भाव से एक दूसरे के प्रति समर्पित होना ही प्रेम की मूल प्रति परिभाषा है।

जैसे - राधा ने कृष्ण को किया था ।

प्रेम किसी को पाना नहीं होता बल्कि उसके खुशी में अपनी खुशी समझता है। प्रेम त्याग का भी एक स्वरूप है जिसमें अपनी इच्छाओं को त्याग कर अपनी प्रेम के इच्छाओं को पूरी करनी की कोशिश करता है।


difference between friend and love

दोस्त - दोस्त ओ है जो आपके दुख सुख को साझा करें । अगर आप रास्ता भटक गए है तो उसे सही मार्ग दिखाए । दोस्त दिखावा करने वाला नहीं होता जो आपको चाही ओ अगर उसके पास है तो बिना बताए आपके प्रॉब्लम सॉल्व कर देता है।दोस्ती में मजाक छोटी छोटी बातें में नोक झोंक रूठना मनाना ये सब कॉमन बात है।

हर एक दोस्त के गुण सुदामा की तरह होनी चाहिए जो बिना लालच के अपनी दोस्ती भी निभाई और भक्ति की परीक्षा से कीमत भी चुकाई।

दोस्तों में झूठ बोलना फिर उसको बाद में सुधारना ये सब होता रहता है अर्थात् एक दोस्त दूसरे दोस्त को हंसाता भी है और मस्ती भरी नज़रों से रुलाता भी है।

दोस्त के कोई रूप नहीं होती दोस्ती सबसे की जाती है। और उसे निभाकर दोस्ती की गहराई हमेशा के लिए बनी रहती है कच्ची दोस्ती कभी भी टूट जाती है लेकिन पक्की वाली दोस्ती हमेशा के लिए रहती है।


forms of love

प्रेम - प्रेम के कई रूप होते है।माता - पिता, भाई - बहन , दीदी -जीजा , मामा - मामी आदि।

लेकिन इन सबसे अलग एक और प्रेम होती है जिसे प्रेमी - प्रेमिका कहते है।

तो अब हम इसी के बारे में चर्चा करने वाले है -

की प्रेम क्या होती है ?

प्यार करना और प्रेम करना इसमें बहुत बड़ा अंतर है-

जैसे कि प्यार किसी के साथ Attraction से भी हो सकती है।

किसी के दबाव से भी हो सकती है।

अगर पति पत्नी बने तो जीवन व्यतीत करने के लिए एक दूसरे को जान समझकर भी हो सकती है ।

To love -

प्रेम करना - कोई आपको नहीं जानते हो और आप उसको तो एक दूसरे के नयना में झांककर अपनी परछाई उसमे पाते हो तो इसे प्रेम कहां जाता है ।यह एक दूसरे को देख मंत्र मुग्ध हो जाना ।

अपनी काम दिनचर्या को भूल जाना और अपनी प्रेमी के ही चित्त में खोए रहना प्रेम की झलक है। प्रेम में कोई भेदभाव नहीं होती वह तो अटूट अपार होती है।प्रेम की कोई रंग रूप नहीं होती न ही उसकी कोई आकार होती है यह निराकार प्रेम ऐसी है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के प्रति राधा रानी की प्रेम अमर है। इसकी आज भी कोई इसकी मुल जड़ को नहीं पाया। क्योंकि प्रेम आखिर भगवान का ही दूसरा रूप है। जिसे समझ पाना आम इंसान की हाथ में नहीं है ।


प्यार किससे करनी चाहिए?

who should love


जो हमारी मनोभाव को समझता हो। हमारे दुख सुख को अपना मान हमारी केयर करती हो। 

 और हमारी हर इच्छाओं का ध्यान रखती हो ।

 वह निस्वार्थ भाव से हमें मन ही मन चाहते हो।

जो अपने मन में जीवनसाथी बनाने की तमन्ना रखता हो।

हमारी बातों को आसानी से समझ लें

फ्यूचर planning बनाता हो की मै उसको ऐसे रखूंगा वैसे रखूंगा अर्थात् वह सारी खुशियों को समेटता हो। कि उसे आगे चलकर कोई भी प्रॉब्लम आए तो भी साथ नहीं छोडूंगा।

लड़कियां भी ये सोचती है कि मै अपने प्यार का ख्याल अच्छे से रखूंगी किसी भी मुसीबत में उसका साथ निभाऊंगी तो इससे है प्यार करना कहते है इसे खोना नहीं चाहिए क्या पता आगे चलकर किसी गलत इंसान के पाले न पड़ जाए😂



अच्छे प्यार की क्वालिटी क्या होती है?

what are the qualities of good love


1 वह अपनी प्यार से कभी झूठ नहीं बोलेगा।

2 अपनी मन की बातों को साझा करेगा।

3 अपनी गम को छुपा आपको प्यार का एहसास करायेगा।

4 आपकी निंदा करते किसी को देखेगा तो वह चुप नहीं बैठेगा ।

5 future planning करेगा।

6 आपसे नज़रे कभी नहीं चुराएगा नजर मिलाके बात करेगा।

7 आपके ऊपर कभी शक नहीं करेगा।क्योंकि प्यार में विश्वास भरोसा होती है शक नहीं।

8 आपको आगे बढ़ने में प्रेरित करेगा।

9 अपने फैमिली से मिलाएगा।क्योंकि जो झूठे होते है ओ अपनी फैमिली से कभी नहीं बात कराते।

10 अपने आने - जाने, खाने - पीने, घूमने - फिरने

यहां तक कि अपनी अच्छी और बुरी बात सब बताएगा।

11अपने यादों की संयोग कर रखेगा।

12 आपकी बातों को कभी बुरा नहीं मानेगा।

अगर गलती हो भी जाएं तो उसे सुधारने का प्रयास करेगा।

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कविता - भ्रष्टाचार आज भी जिंदा है

भ्रष्टाचार

 कविता - भ्रष्टाचार आज भी जिंदा है


भ्रष्टाचार आज भी जिंदा है ।

बाज की तरह मंडराता हुआ परिंदा है ।


भ्रष्टाचार दिमक की तरह हमारे देश को खोखली करती जा रही ।

अपनी झोली भरे दूसरों की जिंदगी को खोखली करती जा रही।


कालाबाजारी गबन, रिश्वतखोरी,

ऊंचे पद पर बैठे नेता उस में लिप्त बने अघोरी।


 स्वार्थ सिद्धि की  कामना लालच भरी नगरी और भी जन-जन में बिखर रही ।

भ्रष्टाचार की कहर समाज की अंग बन निखर रही।


राजनीति भ्रष्टाचार की पर्याय बन गई।

 न्यायाधीशों के लिए पक्षपातपूर्ण निर्णय की संचाय बन गई ।

नौकरी पाने में भी घूसखोरी ।

करते अन्याय और सिना जोरी।


पीठ पीछे वार ,

गरीबों की छीनते घर द्वार।

चिकित्सों  में भी डूबलीकेट दवाइयों को बेचना।

आम जनता  को बेवकूफ बना ,

उनकी जिंदगीयों  से खेलना ।


आज भ्रष्टाचार में लत लग गई ।

दिन गुजरता शराबियों की मत लग गई ।

हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार की बढ़ोत्तरी हो रही।

 घर परिवार टूट  महंगाई की दुनिया लौट रही।


लूटमार की दरवाजा खुल गई।

न्यायपूर्ण जीवन भूल गई।

दुकानों में भी बड़ा चड़ा समान बेचते।

मानों कोई हाथ लपकी का गेम खेलते।


मुजरिम पैसा भर आजाद घूमता।

रोजी मंजूरी गरीबों का हक छीनता।

भ्रष्टाचार को दूर भगाओ।

न्याय पूर्ण भारत संविधान बनाओ।


हम जागेंगे तभी भ्रष्टाचार मिटेगा।

भारत एक बार फिर भ्रष्टाचार विमुक्त खिलेगा।


जय हिंद जय भारत जय छत्तीसगढ़

🙏

भारत माता हमारी शान है।

इसकी सुरक्षा करना हमारी धर्म अभिमान है।


कविता - कलयुग घेरा बैठा

 कविता - कलयुग घेरा बैठा

कलयुग घेरा बैठा


कलयुग घेरा बैठा।

अपनी जिद में मनफेरा ऐंठा।

 घर-घर की कहानी ।

कभी झगड़ा कभी सुहानी।


 कलयुग अपना प्रकोप दिखा रहा ।

अपने प्रकोप में सबको भीगा रहा ।

कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित थी रोया था ।

अपने धर्म का बीज सबके दिलों में बोया था ।


जुआ , मदरा,निंद्रा , शयन , सोना पांच  कलयुग का बसेरा ।

हम जागेंगे तभी होगा सबेरा ।

कलयुग अपना जाल बिछाया।

 काली घटा बनकर मंडराया ।


कलयुग घेरा बैठा ।

अपनी जिद में मनफेरा ऐंठा।

 घर घर की कहानी।

 कभी झगड़ा कभी सुहानी।


अत्याचार ने बढ़ाया कदम ।

जागे कलयुग से लड़ने में हो सक्षम।

सदाचारी भी इसके प्रकोप में आ रही।

धीरे - धीरे धरती भी डगमगा रही।


कलयुग घेरा बैठा ।

अपने जिद्द में मन फेरा ऐंठा।



कवित्री 

प्रेमलता साहू

ऐसे ही साहित्य रचना पाने के लिए हमसे जुड़े रहे।

धन्यवाद🙏💐💐💐💐💐💐💐


जड़ चेतन वृक्ष

जड़ चेतन वृक्ष

 कविता - जड़ चेतन वृक्ष


जड़ चेतन है वृक्ष ।

हमारे जीवन का आस है वृक्ष।

 इसमें जीव -जंतु का जीवन है संपन्न।

 बरगद पीपल जैसे वृक्षों को करते हैं नमन।

 नीम पेड़ में शीतला माता का वास पूर्वज ने माना।

 पर्यावरण अमूल्य धरोहर सबने जाना।

 वृक्षों से जड़ी-बूटी मिलती है ,

जो सर्दी बुखार को ठीक कर देती है।

 इन जड़ी-बूटियों से कई बीमारियां दूर होती है।

 पर्यावरण से ही हमें लाइलाज दवाई मिलती है।

वृक्ष परोपकारी है सबको अपना मानती है।

भेदभाव छुआ - छू त ना किसी से मानती है।

चंदन में विषैले सर्प भी वास करते है।

फिर भी इससे जन तलाश करते है।

वृक्ष स्थिर सबके हृदय को देखती रहती।

अपनी पत्तों की सनसनाहट से कुछ कहती रहती।

मानो बोलती में ही तेरे जीवन का आधार हूं।

तेरे भोजन का आहार हूं।

मुझे छीन करोगे तो कड़ी सजा तुम्हे मिलेगा।

मै न रहूंगा इस जहां में तो क्या हुआ

तू भी नही बचेगा।

जड़ चेतन वृक्ष हमें सावधान करती है।

प्रकृति की हर तरह से गुणगान करती है।

जड़ चेतन है वृक्ष

हमारे जीवन का आस  है वृक्ष।


कवित्री प्रेमलता साहू


पसंद आए तो हमसे जुड़े रहे इसी तरह साहित्य पाने के लिए।

धन्यवाद🙏💐💐💐💐💐💐💐


कविता - एक आजादी इश्क की किए गुनाह

आजादी इश्क की किए गुनाह

 कविता - एक आजादी इश्क की किए गुनाह


एक आजादी इश्क की किए गुनाह।

नफरत के जोश में अनसुने रहे गुमराह।

 चाहत की कसौटी में डगमगाते रहे राह।

 मिल ना पाए झलक खुशी की,

 बताते रहे मन की चाह।

 एक आजादी इश्क किए  गुनाह।

नफरत के जोश में अनसुने रहे गुमराह।

 लगन ऐसी  थी इश्क की,

 चढ़े तो ना उतरे।

मन जिसे अपना माना 

वे जबान के खरे न उतरे।

 कुदरत की करिश्मा ऐसी रही की,

 इश्क चाह के भी न टूटे।

 आजादी के इस बे किस्मत इश्क कब पीछा छूटे ।

सच्चाई के इस मुल्क में दिखाई ना दे रही सही राह । 

एक आजादी इश्क की किए गुनाह।

 भटकते दरिया में अजनबी दिखाई दिए।

 दुनिया की नजरों में क्रेजी दिखाई दिए।

अनजाने हो हो गए हम, 

संकोची फूलों की प्रवाह।

 एक आजादी इश्क की के गुनाह।

 नफरत के जोश में अनसुने रहे गुमराह।


कविता - कोई मिल जाता सच्चा प्यार




 कविता - कोई मिल जाता सच्चा प्यार


कोई मिल जाता सच्चा प्यार ।

कोई मिल जाता है यारों का यार ।


जो मेरी खुशी में अपनी खुशी समझे।

जो मेरी गम को अपना गम समझे।

कोई मिल जाता जीवन साथी सच्चा ।

जो सबसे अलग लाखों में हो अच्छा ।

कोई मिल जाता सच्चा प्यार ।

कोई मिल जाता यारों का यार।

मेरे ना बोलने पर भी मेरी बात समझ ले ।

मेरे मुस्कुराने से मेरा हाल समझ ले।


 नेक दिल हो कोई फरिश्ता जैसा ।

नीति के राह में चलता हो ऐसा।

 कोई मिल जाता सच्चा प्यार।

 कोई मिल जाता यारों का यार।


 चमकता सूरज का फेस हो।

 कामदेव जैसा वेश हो।

 चांद की तरह मुस्कुराना ।

समीर की तरह लहराना ।

कोई मिल जाता सच्चा प्यार।

 कोई मिल जाता यारों का यार ।


तूफान आने पर भी ना घबराए।

हिम्मतवाला न किसी से घबराएं।


हो वीर ,महावीर साहसी सहेंसा।

त्याग का प्रतीक हो रहे अहिंसा। 

कोई मिल जाता सच्चा प्यार।

 कोई मिल जाता यारों का यार।

शेर की तरह अंदाज हो।

उसकी बातें लाजवाब हो।

सबके दिलों का राजा हो।

सबसे अलग राजकुमार महराजा हो।

कोई मिल जाता सच्चा प्यार।

कोई मिल जाता यारों का यार।


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निबंध - हिमालय पर्वत की उत्पत्ति

 हिमालय की उत्त्पति 

हिमालय की उत्पत्ति

परिचय- हिमालय को भगवान शंकर की निवास स्थल कहां जाता है। अर्थात् भगवान शिव अपने अदृश्य रूप में अपार शक्ति के स्रोत से हिमालय पर ही विराजमान है।


 प्राचीन ऐतिहासिक हिमालय का विस्तार


करोड़ों साल हुए , दक्षिण भारत एक  अफ्रीका दूसरी ओर आस्ट्रेलिया से मिला हुआ था। थल का वह अटूट विस्तार हिंद महासागर पर छाया था, दक्षिण अमेरिका तक। उधर  उत्तर में ना केवल उत्तर भारत बल्कि  प्राय: सारा हिमालय और एशिया के अधिकतम भाग जल मग्न थे। उन पर सागर की फेनिल लहरें टूटती थी। तभी हिमालय ना था।

 एकाएक एक दिन पृथ्वी के गर्भ में कुछ हुआ। जलजला आया जमीन सिकुड़ी और फैली। उसकी ऊपरी सतह का अचानक से काया-पलट हो गया। दक्षिण में समुंदर उठा। उसने भारत,अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया को जल द्वारा बांट दिया। उसी भूकंप ने उत्तर को ऊपर फेंका। तब हिमालय की उत्तंग श्रृंखलाएं सागर से उठकर खड़ी हो गई। उसकी वह एवरेस्ट आसमान छूने लगी। जिसकी अभी की इंसानी विजय की गुंज आज भी हवा में भरी है। साथ ही उसके उत्तर और दक्षिण में भी समुंदर ने मैदान उगल दिए। हिम की श्वेत हरी धाराओं से गिरिजाराज ने उन्हें संपन्न किया जो वर्तमान में हिमगिरी तथा हिमालय के रूप में विख्यात हुआ।


हिमालय की विस्तार-


भारतीय विचारों के अनुसार  हिमालय का विस्तार पूरब से पश्चिम समुद्र तक है।  

उत्तर दिशा में गिरिराज हिमालय है जो पूर्व और पश्चिम के समुद्रों में प्रवेश करता हुआ पृथ्वी के मापदंड- सा स्थित है। इस प्रकार हिमालय प्राचीनतम  राय में भारत की उसकी भौगोलिक और राजनीतिक आदर्श सीमा प्रस्तुत करता था, परंतु साधारण तौर से हिमालय का यह मान संसार के भौगोलिक को मान्य नहीं है।

 उन्होंने उसका 1500 मील लंबा विस्तार पश्चिमी में गिलगित  और पूरब में ब्रह्मापुत्र तक माना है। इस प्रकार हिंदुकुश के अलावा ईरानी पठार का एक भाग और पूरब में बर्मा के भी कुछ हिस्से शामिल होते। इस पंद्रह सौ मील लंबे पहाड़ी सिलसिले की चौड़ाई 400 मील है। हिमालय की 6श्रेणियां है। जो पामीर की गांठ से निकलकर पूरब की ओर जंजीरों की तरह बढ़ती गई है ।

 एवरेस्ट की हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है। जो पूर्वी श्रृंखला  में है। हा गॉडविन ऑस्टिन की दूसरी आकाश चुम्मी चोटी जरूर पश्चिम में है।

हिमालय की तीसरी श्रृंखला लद्दाख का निर्माण करती है। सिंधु के उत्तर- दक्षिण दोनों और जसकर हिमालय की प्रधान पर्वतमाला है। उसका मस्तक बर्फीली चोटियों से चमकता रहता है। उसी की चोटियां गंगोत्री से नंदा देवी तक शिमला के पहाड़ों से दिखती है।

पीरपंजाल या धौलाधार की श्रेणी बाहरी हिमालय में पड़ती है।जो उसकी पांचवी श्रृंखला है। निचले हिमालय की डल की अंतिम और ठीीी छठी पर्वतमाला है।

जिसमें शिवालिक का विस्तार है। हम इस पंद्रह सौ मील लंबी पर्वत श्रेणी को और भी अधिक सुगम तरीके से बांट सकते हैं ।अगर हम इसके 4 भाग करें तो इसकी गणना इस प्रकार होगी-

 पहला पंजाब- हिमालय 350 मील ,

दूसरा कुमायूं हिमालय 200 मील।

 नेपाल हिमालय 500 मील ।

और चौथा असम हिमालय 450मील।

 पंजाब हिमालय का विस्तार गिलगित से सतलज तक है ।

इसमें अधिकतर 20 हजार फुट से कम ही ऊंची चोटियां हैं ।पर नंगापर्वत इसी विस्तार में है ।उसकी ऊंचाई 26,656 फुट है।कुमायूं  हिमालय की श्रृंखला सतलज से  काली नदी तक चली गई ।

इसी में अधिकतर तीर्थ स्थान है।और धर्मपु त  शिखर है ।नंदा देवी 25,645 फुट ऊंची है। कामेट 25,447 फुट।त्रिशूल 23,360 फुट। 23,19 फुट बद्रीनाथ ,केदारनाथ22,270फुट  और  गंगोत्री 21,700 फुट।

  यमुनोत्री भी इसी श्रृंखला में है।  नेपाल हिमालय का विस्तार सबसे बड़ा है ।काली नदी से सिक्कम तक इसकी चोटियां संसार में सबसे ऊंची है। तिब्बत और नेपाल के संधी पर खड़ा 29,002 फुट एवरेस्ट इसी में है। 

हिमालय की पर्वतमालाएं में छोटी बड़ी अन्नत झीलें है।

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Writer कैसे बने ? जाने 2022 में लेखक बनने का आसान तरीका

Writer (लेखक) का मतलब क्या होता है?

दोस्तो आज हम बात करने वाले है कि लेखक writer कैसे बने ? जो अपने भाव विचार को शब्दों के माध्यम न बोलकर   लिखित में बताएं उसे हम लेखक कहते है।

या हम ऐसा भी बोल सकते है अपने विचारो को आदान - प्रदान कर सामाजिक व आर्थिक स्थिति राष्ट या घर परिवार की आलोचना करें।राइटर हमें सही मार्ग का अनुबोध कराता है हमारे मन को कंट्रोल करने की एक सीख भी सिखाता है।

writer कैसे बने


एक अच्छा राइटर सदैव महान कवि सूरदास जी के जैसे अपने मन की बात साझा कर लोगों को सही दिशा दिखाता है। स्वामी तुलसीदास भी अपने अलौकिक ज्ञान से छिपा नहीं है । अपनी लेख के माध्यम से भक्ति में भरी मन को भगवान में समर्पित कर अपने लेख के माध्यम से ज्ञान कि गंगा बहता है।


Writer कैसे बने ? लेखक बनने का तरीका

राइटर बनने की कुछ महत्वपूर्ण बातें-

  •  राइटर की मन साफ होनी चाहिए किसी भी तरह के गलत सोच मन में नहीं लानी चाहिए।
  •  राइटर हमेशा शुद्ध मन से अपनी लेख start करता है।
  • राइटर बनने के लिए तुक- मेल के ज्ञान होना जरूरी है
  • रस , छंद, दोहा, सोरठा हिंदी के ये महत्वपूर्ण व्याकरण आनी चाहिए।
  • अपने आसपास के वातावरण,सामाजिक एवं अलौकिक ज्ञान होना जरूरी है।

अपने अंदर के शुद्ध भाव को बाहर लानी चाहिए अर्थात् दिल से बात निकलनी चाहिए। जिसके बारे में आप लिखना चाह रहे हो।

अपने ऊपर विश्वास होनी चाहिए कि आप एक कवि बन सकते हो या लेखन कार्य कर सकते हो।


किताबें जो एक लेखक को पढ़नी चाहिए

  • लेखक को हमेशा ज्ञान कि ही बाते सुननी एवम् पढ़नी चाहिए।
  • जैसे कि अपनी प्राचीन काव्य महाकाव्य में महाभारत,रामायण,श्रीमद् भागवत और गीता जो हमें अजर अमर मृत्यु आदि का ज्ञान कराती है ।
  • अच्छी अच्छी पुस्तकें जिसमें कुछ सीखने को मिलता हो।
  • गीता तेरा ज्ञान अमृत,विक्रम बेताल,बत्तीसी सिंहासन

ये सभी बुक अत्यंत लोकप्रिय ज्ञान से परिपूर्ण है।


अच्छे लेखक की Qualities

  • एक अच्छे लेखक चंचल एवम् शांत स्वभाव की होनी चाहिए।
  • उसे सही और गलत की पहचान होनी चाहिए।
  • वे हमेशा दयालु भावुक और परोपकारी होनी चाहिए।
  • अपने कार्य को सम्पन्न करने की सामर्थ रखती हो।
  • अपने माता - पिता को भगवान के तरह पूजता हो।

अपने आसपास के रहने वाले और सबको अपना ही मानता हो ।दूसरों के लिए अच्छे विचार रखता हो

ये सब अच्छी आदते एक राइटर में होनी चाहिए।


Writer कैसे बने : Education Qualification

पढ़ने और लिखने आनी चाहिए । क्योंकि इसमें high पढ़ा लिखा इंसान राइटर बन सकता है ऐसा कोई बात नहीं ।

Writer कौन बन सकता है?

जो भी इच्छुक हो।

भारत में एक पुस्तक लेखक कितना कमाता है

ये तो समाज के ऊपर निर्भर करता है कि उसका लिखना कार्य कितना पसंद आया। एक अच्छे राइटर की कमाने की कई रास्ता होती है जैसे -

फिल्म बनाने के लिए उससे स्टोरी लेता हो तो उससे अगर फिल्म हाई लेवल की बन रही तो उसको ज्यादा पैसा मिलेगा अगर फिल्म छोटी बन रही तो कम कमाई की संभावना होती है।

इसको अलावा सोशल मीडिया तो भरपूर माध्यम है कमाई का।


आशा करती हूं कि आपको मेरी Writer कैसे बने लेख पसंद आई होगी. इस लेख से आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा. दोस्तो मेरे लेख को अपने सभी सोशल मीडिया साइट्स पर जरूर शेयर करें. धन्यवाद।


सुविचार जो जिंदगी बदल दे

 सुविचार - नीति की बात


1) रूप नहीं सद्गुण काम आती है।

ईष्य कपट नहीं प्यार ही मन लुभाती है।

सोचने से काम नहीं होता ।

काम तो करने से होती है ।


2) दिखावे की पोस्ट करने से किसी की मदद नहीं होती।

ओ तो बिना स्वार्थ के आप किसी जरूरतमंद

 को कुछ दो ओ मदद कहलाती है।


3) बोलने से कुछ नहीं होता

अपनी जिंदगी में अमल करने से होता है।


4)वेद पुराण पढ़ने से कोई ज्ञानी नही बन जाता।

माला जपने से कोई ध्यानी नहीं बन जाता।


5)भटके राही को राह दिखाए 

वहीं गुरु कहलाएं।


6)आचरण तो मां पापा सिखाते है।

अंधेरों से उजाला भगवान दिखाते है।


7)प्यारी सी मुस्कान चेहरे को रोनक बनाती है।

गमों को खुशियों में बदलना,

 नई किरण की सन्देश सुनाती है।


कविता - इंसाफ

कविता - इंसाफ




नई सोच की बढ़ती प्रगति में बुजुर्गो का मान करें

आओ आज इंसाफ करें।

घर - घर में मारा - मारी ।

 खुलेआम ज़ुल्म खींची जा रही द्रोपदी की साड़ी।

कितने ज्ञानी महादानी देख रहे 

फिर भी कहा रहे सदाचारी।

सच कभी छिपता नहीं,

फिर भी पैसे से मुंह बंद करा रहे ये अनाड़ी।

मान - सम्मान से खेल रहे ।

चुपकी से सब देख रहे।

आंख  वाला भी अंधा हो जाता ।

जब सही बोलने का मौका आता।

ज़ुल्म करके अपराधी खुशी से घूम रहे।

मजबुर इंसान अपनी हालत को कोच ,

चुल्लू भर पानी में डूब रहे।

आज सही इंसाफ को जगाना है।

मुजरिमों को सजा दिलाना है।

बन जाए एक मिसाल ।

अब न हो अत्याचार।

खाके कसम आगे बढ़ना है।

इंसाफ के लिए अब किसी से नहीं डरना है।

निर्बल को बल दिलाएंगे।

बेसहारा को लाठी पकड़ाएंगे।

इंसानों की बस्ती इंसानियत का पाठ पढ़ाएंगे।

अपने हक के लिए कैसे लड़े,

ये सबको सिखाएंगे।







कविता - सरस्वती ज्ञान दायनी

 सरस्वती ज्ञान दायिनी ज्ञान देना।

हम तेरे बुद्धू संतान ज्ञान का भंडार दे मां।

वीना धारणी कृपालनी कृपा कर देना।

अपवित्र मन को पवित्र कर दे मां।


श्वेत वस्त्र धारणी सूर्य प्रकाशिनी।

चन्द्र तिलक शोभिनी उद्धरणी।

संस्कृत श्लोक वेद रचियिनी।

सात  सुर स्वर दायनि।


कंठ में विराजमान नीति गुण सीखा देना।

अन्धकार अज्ञानता क्षण भर में मिटा दे मां।

श्री हरि विष्णु की नाभि से निकल,

कमल पुष्प में आसन धारण कर हुई शीतल।


चतुर्भुजी नीलकमल धारणी ,

सुगंधित पुष्प निर्जीव को सजीव रूप अवतारिणी

पाप विनाशिनी बुरे कर्म से बचा लेना।

हम अनजान तेरी आंचल की छाया में हमें छिपा ले मां।


अद्भुत छवि चन्द्र मुख इन्द्रधनुष सा ज्ञान कि प्रकाश बिखेर देना।

ऋषि मुनि संत मनीषी तेरी महिमा गाते

सबके मन निर्मल शुद्ध चंदन की शीतल दे मां।


सरस्वती ज्ञान दायिनी ज्ञान देना।

हम तेरे बुद्धू संतान ज्ञान का भंडार दे मां।