वीर सिपाही
स्वतंत्रता की लड़ाई लड़े वे वीर सिपाही थे।
कूद पड़े जंग के मैदान में अंग्रजों के तबाही थे।
हर मुश्किल कड़ी में हार नहीं माने,
ओ तो भारत माता के सिपाही थे।
बांध कफ़न लड़ते रहे जंग के मैदान में।
गोलियों की बमबारी करते रहे अंग्रेजों के गोदाम में।
डटकर खूब मस्तानी होली खेल,
आगे बढ़ते रहे जंग के मैदान में।
हर जवान के बोल में करो या मरो का नारा था।
एक एक कर दुश्मनों को धूल चटा,
अंग्रेजों ने घुटने के दम से हारा था।
चुन -चुन कर बंदूक से छली वीरों ने मारा था।
साहस बुलंदियों में तन को सींचे थे।
जन -जन स्वतंत्रत सेनानी बड़ा अपने साथ खींचे थे।
सबके मन में आजादी का विश्वास जगाने,
हर कोशिश काम किए थे।
स्वदेशी वस्तु अपना महत्मा की गूंज थी।
विदेशी वस्तुओं को जला भून दी थी।
हर एक तरकीब अपनाएं आजादी के लिए
हर के वीरों में स्वतन्त्रता की गूंज थी।
कैसे चुप बैठ सकते थे।
अंग्रेजों के बड़े अत्याचार थे ।
जुल्मों की घड़ा भर चुके थे पापचार से।
झुकने नहीं दिए आजादी कि झंडा,
ओ तो भारत माता के वीर सिपाही थे।
हर मुश्किल में हार नहीं माने,
ओ तो भारत माता के वीर सिपाही थे।
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