कविता - कान्हा की प्रेम, प्रेरणा

प्रेम मूल्य मंत्र है, मत इसे खोना
क्रोध, शत्रुता का नाश कर प्रेम का बीज बोना।

त्याग समर्पण की भावना से, प्रेम का भाव जगाना।
अपने मन कान्हा में लगाके, हृदय से प्रेम लगाना।

सच्ची खुशी का अनुभव मन शांत लगेगा।
प्रेम का बंधन कान्हा से बंधेगा।

जिससे कोई तोड़ नहीं सकेगा।
जब ध्यान चित्त कान्हा से लगेगा।

सच्ची प्रेम की अमर कहानी
जिसमे राधा,मीरा गोपियां हुईं थीं
कान्हा की दीवानी।

एक - दूजे से बिछड़ कर भी मनमोहन श्याम जपती रही।
दिन बीता जाए पवन से संदेशा  भेजती रही।

सोचती एक दिन तो मोहन आएगा ।
हमे अपनी छवि का दर्शन कराएगा।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏

कविता-प्रकृति का वर्णन

काली घटा छाए बदरिया , दिखे घुघरालू बाल सवारियां।
गरज-गरज चलते इन्द्रधनुष ,लप -लप करते गगन चमकीला।
उछल-उछल कर खेलते आसमा , दिखे रंगीला।
सुंदर नजारा मनमोहक सजीला।

धरती संकुची सी बैठी , मानो बादल के गरजने से कांप रही हो।
पानी बरसने लगी, ठंडी में हाप रही हो।
वन में मोरनी पंख फैलाए,पैर थपथपाये।
सूरज निकलने को, बादल का दरवाजा खटखटाये।

प्रकृति ओशो का बूंद बिखरा पड़ा है।
हीरो के समान फूलों में जड़ा है।
प्रकृति की सुंदरता ,अब कामदेव से भी लड़ा है।
हरियाली का झंडा, पर्यावरण के खड़ा है।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏

लघु कहानी- आज के मेहमान

एक गांव में किशन नाम का एक ग्वाला रहता था।उसकी मां वृद्ध हो गई थी। और उसके पिता स्वर्ग सिधार गए थे।यह छोटा परिवार था। जहां गरीबी का अंधेरा छाया हुआ था।किशन ग्वाला के साथ -साथ अपने वृद्ध मां का आंखो का तारा था। किशन भी अपनी मां का भरण-पोषण गाय चराकर करता था। किशन का घर बस्ती के आखिरी में था।किशन के दोस्त बस्ती में रहते थे। वे सभी एक साथ गाय चराने जाया करते थे।किन्तु किशन के दोस्त खाते-पीते परिवार के थे। जिसके वजह से किशन का मजाक बनाया जाता था। उन लोग बोलते कि हमारे मामा आज आए थे। तुम्हारे मामा कहा  रहते हैं।किशन को यह पता नहीं था तो वो अपनी मां से जाकर पूछते उसकी मां बोलती बेटा वो बहुत दूर रहते है। किशन अपने दोस्तो को आकार बताता के उसके मामा बहुत दूर रहते है।उसके दोस्त खिलखिलाकर हस पड़ते और बोलते कोई इसके घर में जाएगा तो क्या खिलाएगा। खुद के लिए तो इसे मिलता नहीं है।दिन में एक बार भोजन मिल जाए यही इसके  लिए काफी है। किशन गरीब था । इसलिए उसके परिवार वहा नहीं आते थे। उसके दोस्त भी नहीं जाते थे।और घर  में कोई मेहमान भी नहीं आता था। किशन एक दिन अपनी मां से पूछा मां हमारे घर में मेहमान कब आयेंगे। उसकी मां बोली बेटा हमारे घर में धन आयेंगे। तो मेहमान भी आ जायेंगे। फिर किशन ने मां से पूछा मां धन कब आयेंगे। उसकी मां किशन के हाथ पकड़ कर एक बंजर खेत में ले गई। और बोली बेटा इसी खेत में तुम्हारे पूर्वज का धन जमा है। इतना बोलकर किशन की मां घर वापिस आ गई। किशन खेत में ही बैठे सोचते रहा। कि यहां तो बंजर भूमि है। इसमें कहा धन जमा है। रात होने को थी ,किशन भी बहुत देर के बाद घर वापिस आया।और अपनी मां से पूछा कि, मां वहा तो केवल बंजर भूमि है , वहां कहा से धन आएगा। उसकी मां बोली बेटा उसे कमाओ धन अपने आप आ जाएगा। फिर क्या था,किशन गाय चराना जाना बंद कर दिया तथा जमा किए हुए कुछ पैसों से खेती करना आरंभ कर दिया। उसने सुबह जागते ही कुल्हाड़ी पकड़ के खेत चला गया। खेत को धान लगाने के लिए खुदाई करने लगा। और हल चलाकर बहुत बड़ा खेत बना लिया।और उसमे खेती करने लगा। खेत में विष्णुभोग धान का बीज डाल दिया। बीज धीरे धीरे अंकुरित होकर पत्तियों  में बदलने लगा। किशन प्रतिदिन खेत जाता और फसल को देखता। धान काटने का दिन आ गया । वो धान काटना आरंभ किया। खेत को देखते हुए इतना ज्यादा मात्रा में धान मिला की उसका घर धान से उछलने लगा। किशन आधे धान को बेचा और आधे धान को घर में रख लिया। किशन की मां अपने बेटे के इस कठिन परिश्रम को देखकर अत्यंत खुश थी। धीरे धीरे कुछ दिन के बाद किशन आधे गांव के खेत का किसान हो गया। उसके घर जो पहले माटी का था, उससे पक्का का बनवा दिया। और किशन के घर में इतना मेहमान आते कि उसकी मां चाय देते देते थक जाती। किशन के मामा जो दूर में रहते थे । वे भी संपन्न घर देखकर आने जाने लगे। किशन के दोस्त भी जो पहले किशन के घर नहीं आते थे। अब उसके घर रोज आते जाते थे। एक दिन उसकी मां बोली देखे बेटा घर समृद्ध हो गया तो आज के मेहमान हो गए।

प्रेरणा- १. हर इंसान अमीर समृद्ध घर में जाना पसंद करते है।
२. हमे किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए किशन के दोस्तों की तरह।
३. सब्र का फल मीठा होता है।
४. समय का ठिकाना नहीं रंक भी राजा बन जाता है।
और राजा भी रंक।
६. हमे कोई भी काम लगन से करना चाहिए।
७. अपनी मां को अपनी दोस्त समझकर हर बात बतानी चाहिए।

सायरी- कान्हा के बचपन का

नाज़ुक- नाजुक पैर में पायल सोहे , सुंदर सलोना सूरत देख ब्रज वाला अपने होश खोए।

सौ कामदेव तेरी सूरत में  फिका है, कभी मुरली वाला तोह कभी माखन चोर नाम लिखा है।

मईया के पालना में मचल मचल खेले, मईया देख मुस्कुराए।
देख तेरी नटखट लीला कान्हा ,सबके मन हरसाए।

मईया को झूठ बोलकर घर घर माखन खाए, देख देख गोपियां मन से मुषकाए।
मुंह फुलाकर मईया को कान्हा गुस्सा दिखाए, बोले हम जाते गइया चराए।
तोह गोपियां तोह बैरी है मेरे हम कहा माखन चुराए।

ओ मईया मान जा कहना मेरी मत मुझसे रूठो,
मुझे माखन बड़ा प्यारा मत इससे लूटो।


बंशी बजाने वाला हू ,  गैया चराने वाला हूं।
सबके प्यारे कृष्णा गोपाला हू।
माखन चोर सखाओ के सखा इसलिए
नंदलाला यादव कहलाता हू।

राधे राधे श्याम मिलादे
कृषणजनामाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 👰

गीत- सांवली सूरत

सांवली सूरत मोहनी मूरत ओ बंशी बजाने वाला ।2
रास राचिया माखन चोर गाईया चराने वाला।2
घुघराले बाल काली घटा समान तेरे,
नीलकमल सा नयन गुलाब पंखुड़ियों सा होंट तेरे।
हाथ कोमल पैर माहौर ओ नंदलाला।... सांवली सूरत
दिन दयाल करुणा सागर हरी अवतार ।
दूर कर दो संकट मेरी विपत्ति को दो मार।
कान में कुण्डल ,पहने पीताम्बर     ओ ब्रजबाला।...सांवली सूरत
राधा रानी प्रेम दीवानी ,गोपियां सूद्ध बुद्ध गवाए।
प्रेम अमर बनी मूहानी , कर दो उद्धार क्यो हमको रुलाए।
नयन कजाराले, दिखे निराले ओ गोकुल वाला ।...
सांवली सूरत मोहानी मूरत ओ बंशी बजाने वाला।
सांवली सूरत मोहानी मूरत ओ बंशी बजाने वाला।
सांवली सूरत मोहानी मूरत ओ बंशी बजाने वाला।