सरस्वती ज्ञान दायिनी ज्ञान देना।
हम तेरे बुद्धू संतान ज्ञान का भंडार दे मां।
वीना धारणी कृपालनी कृपा कर देना।
अपवित्र मन को पवित्र कर दे मां।
श्वेत वस्त्र धारणी सूर्य प्रकाशिनी।
चन्द्र तिलक शोभिनी उद्धरणी।
संस्कृत श्लोक वेद रचियिनी।
सात सुर स्वर दायनि।
कंठ में विराजमान नीति गुण सीखा देना।
अन्धकार अज्ञानता क्षण भर में मिटा दे मां।
श्री हरि विष्णु की नाभि से निकल,
कमल पुष्प में आसन धारण कर हुई शीतल।
चतुर्भुजी नीलकमल धारणी ,
सुगंधित पुष्प निर्जीव को सजीव रूप अवतारिणी
पाप विनाशिनी बुरे कर्म से बचा लेना।
हम अनजान तेरी आंचल की छाया में हमें छिपा ले मां।
अद्भुत छवि चन्द्र मुख इन्द्रधनुष सा ज्ञान कि प्रकाश बिखेर देना।
ऋषि मुनि संत मनीषी तेरी महिमा गाते
सबके मन निर्मल शुद्ध चंदन की शीतल दे मां।
सरस्वती ज्ञान दायिनी ज्ञान देना।
हम तेरे बुद्धू संतान ज्ञान का भंडार दे मां।
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