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Moral stories (in hindi)मैना रानी

 Moral stories -मैना रानी


कवित्री प्रेमलता ब्लॉग एक कविता का ब्लॉग है जिसमे कविता, शायरी, poem, study guide से संबंधित पोस्ट मिलेंगे और अधिक जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहे। Email id Sahupremlata191@gmail.com



 एक समय की बात है मैंना रानी बहुत ही फुर्तीली थी ।वह मैंना राजा के साथ में खुशनुमा जीवन व्यतीत कर रही थी ।समय गुजरता गया मैंना रानी के 4 बच्चे हुए जो अत्यंत सुंदर थे। मैंना रानी अपने बच्चों को चारा ला -ला कर खिलाती। चिड़िया बच्चे चू -चू कर अपने मां के चोच से खाते हैं ।

एक बार की बात है पूरे जंगल में आग लग गई मैंना राजा यह देखकर मैंना रानी से बोला की रानी चलो अब अपने बच्चों को लेकर दूसरे जंगल में अपना घर बसाएंगे ।मैना रानी बोली नहीं मैं अभी उड़ने में सक्षम नहीं हूं। मेरे बच्चों का आंख नहीं खुला है। मैंना राजा जंगल को तेजी से जलते हुए देखकर वहां से अपने परिवार को छोड़कर वहां से भाग गया। मैंना रानी बहुत दुखी हुई और भगवान की प्रार्थना करते- करते अपने बच्चों को अपने पंख में समेटे वहीं रुक गई। मैना रानी राम- राम का रट लगाए, पूरे जलते हुए जंगल को देखने लगी ।एवं भगवान से विनती करने लगी कि वे उनकी रक्षा करें। भगवान ही बड़े कृपालु हैं पूरे जंगल जल गया पर मैंना रानी जिस जगह में रहती थी ।वहां एक चिंगारी भी नहीं आई ।पूरा जंगल शांत हो गया।

 मैंना रानी भगवान को धन्यवाद की और अपने अपने बच्चों को गले लगा ली।

उसके बाद मैं ना राजा सोचा कि चलो अब क्या हाल-चाल है। मेरे परिवार का देख आता हूं । उसी जंगल में आए तो देखा कि मैंना रानी अपने बच्चे चिड़ियों को उड़ा रही हैं। अपने बच्चों को प्यार कर रही थी। तो मैंना राजा देख कर खुश हो गया कि मेरा परिवार सही सलामत है। फिर मैंना रानी के पास आया और बोलने लगा कि मेरे बच्चों को दो मैं अपने बच्चों साथ ले जाऊंगा । मैंना रानी बोली कि आप किसलिए आए हो जिस समय अपने बच्चों का ख्याल रखना था ।उस समय तो चले गए थे। अपने बच्चे को मरते हुए छोड़कर। तो अब तुम्हारा बच्चा कैसे हुआ? यह तो मेरा बच्चा है।

 मैं अपने बच्चे को बच्चे के साथ रहूंगी।मैना राजा सरपंच बुलाने की ठान ली। और पंचायत में न्याय मांगने लगा ।कि यह मेरा बच्चा है मुझे वापस कर दो। तो सरपंच भी अपने न्याय पूर्ण करने में असमर्थ थे। उन लोग  बहुत ही सोचने में मजबूत हो गए  थे। कि यह बच्चा कैसे किसको दिया जाए? आखिर सरपंच   भी क्या करता भला। था तो मैंने राजा का ही बच्चा। तो मैंने राजा का बच्चा उसे वापस दे दिया गया। और मैंना रानी फूट-फूट कर रोने लगी ।और अपनी प्राण त्याग दी।

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