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Poetry -निंदिया के सपना

Poetry -निंदिया के सपना

निदिया म सपना देख पारेव घर के चिंता देख हारेव।
दाई - ददा के कचर कचर गोठ,सूखा गे बिन पानी के होठ।
सुवारी के ताना नाना ,त भाई भवजाई के गाना।

किस्मत के ठिकाना देख डारेव,
बिन करम के गोटी मेल परेव।

पैसा के चक्कर म घूमेव शहर नगर घाट,
घूसखोरी के पाले पठेव पैसा ल दे आय पाट।

दीमाक म चिंता घेर डरेव,
हालात के हेर फेर म हरेव ।

निंदिया म सपना देख परेव....👍👌