ये दर्द कैसा है दिल टूटने का।
ना जीने देती है ना मरने देती है।
रह रहकर आंखो में पानी भर आती है।
उसकी याद दिन रात सताती है।
उसका चेहरा आंखों में बसा तस्वीर है।
उसका मुस्कुराना हो गया था,
मेरे दिल का पत्थर का लकीर है।
मुझे पता नहीं था ओ इतना बदल जाएगा।
आग , जलन के बबुले में जल जाएगा।
दर्द भरा दिल का जिक्र किससे करूं।
दर्द भरी तन्हाई का फिक्र अब कैसे करूं।
हम पर बेवफ़ाई का शक करके सारे बंधन तोड़ दिया।
कभी ना देखने की कसम खा मुंह मोड़ लिया।
ये दर्द कैसा है दिल टूटने का।
ये दर्द कैसा है दिल टूटने का।
सुंदर सा मुखड़ा में लुभाया मन को।
अब कैसे भुलाएं दर्द भरी जुदाई के गम को।
रह रहकर ओ मौसम याद आती है।
कभी बारिश कभी काली घटा छा जाती है।
उसको ना याद आती मेरी तड़प का।
छल गए हमसे कर गए दिल बाजी कपट का।
कैसे कहूं निराश मन हताश हो गया दिलबैचैन का।
ये दर्द कैसा है दिल टूटने का।
ये दर्द कैसा है दिल टूटने का।
दिल में विश्वास थी,लहरों की मुस्कान थी।
मेरे मुख में सुबह शाम बस उसका ही नाम थी।
दिल को मोह लिया फिर बेवफ़ा बन के तोड़ गया।
कठोर बन हमें अकेले छोड़ गया।
कैसे फरियाद करूं इन मोती जैसे आसुओं का,
ये दर्द कैसा है दिल टूटने का ।
ये दर्द कैसा है दिल टूटने का।