कविता नैतिक सुविचार - इंसानी दुनियां

इंसानी दुनियां

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इंसानी दुनिया में रखी है कदम।

 पा लें  जन्नत का आनंद।

 हुआ है नीति का जन्म।


 इंसानी बुद्धि परे है।

 पा ले जो चांद सितारे मोतियों जड़े हैं ।

विश्वासी कसौटी में इंसान बेबस है।

ये कौन सा हवस  है।


 कभी पैसा कभी जान का स्वार्थ घेरा है ।

लगता है कोई अनिती फेरा है।


 इंसानी दुनिया मानो तो अच्छा।

 ना मानो तो कच्चा है ।

पल पल जीवन बिता जाए,

 खुशियों से बने नीतियों से भरें।

हर पल शुद्ध हो जीवन समृद्ध हरे।


 अपने जीवन में इंसानियत का मुसाफिर है।

 दुनिया में सच का मार्ग दिखाने वाले राहगीर है।

 खुद अच्छाई में चले तो बुराई का अंत निश्चित है ।

सच्चे कर्म करे तो मीठा फल अपना नसीब है ।


इंसानियत रहेगी तो दुनिया संपन्न है।

 इसके बिना अधूरा हर एक सितम है।


 गम को हंसते हुए संघर्ष करें,

आने वाला कल बनेगा जन्नत का डोर है।

 भक्ति भावना का होगा एक जोड़ है।


 इंसानियत बाग बगीचों में फूलने वाला एक कली है।

 सूर्य का ऊर्जावान किरन  मिलने पर,

मिल जाते सुगंधित फूलों का लड़ी है।

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