मन चाह रही
मन चाह रहीआसमान के तारे तोड़ लूं।
बिखेर दूं इस धरती के बहार में।
स्वर्ग को इस भूमि में ले लाऊं।
पारिजात पेड़ के खुशबू बिछाउं।
परियों के साथ घूमे फिरे ।
देखें अपने इस जहां का सुंदर-सुंदर हीरे ।
वृक्षों में जादुई फल लगा हो।
पानी में अमृत जल घुला हो।
बुढ़ापा हमें छू ना पाए ।
अपनी जिंदगी स्वर्ग के परियों के साथ बिताए ।
फूलों के पत्ते चमकीला हो।
फूल - फुले वह सुनहरा हो।
सोने के महल में सब का जीवन हो।
सबके घर में राजा और रानी का बसेरा हो ।
हर एक बच्चा परी - परा बने।
चांद सितारे के साथ खेलें।
अपना धरती चमकीला हो ।
चाहूं मैं बहुत रंगीला हो।
आसमान में घूमने के लिए परियों जैसा पंख रहे ।
सबके मन में प्रेम का प्रवाह बहे।
मन चाह रही आसमा की तारे तोड़ लूं।
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