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लघु कहानी- आज के मेहमान

एक गांव में किशन नाम का एक ग्वाला रहता था।उसकी मां वृद्ध हो गई थी। और उसके पिता स्वर्ग सिधार गए थे।यह छोटा परिवार था। जहां गरीबी का अंधेरा छाया हुआ था।किशन ग्वाला के साथ -साथ अपने वृद्ध मां का आंखो का तारा था। किशन भी अपनी मां का भरण-पोषण गाय चराकर करता था। किशन का घर बस्ती के आखिरी में था।किशन के दोस्त बस्ती में रहते थे। वे सभी एक साथ गाय चराने जाया करते थे।किन्तु किशन के दोस्त खाते-पीते परिवार के थे। जिसके वजह से किशन का मजाक बनाया जाता था। उन लोग बोलते कि हमारे मामा आज आए थे। तुम्हारे मामा कहा  रहते हैं।किशन को यह पता नहीं था तो वो अपनी मां से जाकर पूछते उसकी मां बोलती बेटा वो बहुत दूर रहते है। किशन अपने दोस्तो को आकार बताता के उसके मामा बहुत दूर रहते है।उसके दोस्त खिलखिलाकर हस पड़ते और बोलते कोई इसके घर में जाएगा तो क्या खिलाएगा। खुद के लिए तो इसे मिलता नहीं है।दिन में एक बार भोजन मिल जाए यही इसके  लिए काफी है। किशन गरीब था । इसलिए उसके परिवार वहा नहीं आते थे। उसके दोस्त भी नहीं जाते थे।और घर  में कोई मेहमान भी नहीं आता था। किशन एक दिन अपनी मां से पूछा मां हमारे घर में मेहमान कब आयेंगे। उसकी मां बोली बेटा हमारे घर में धन आयेंगे। तो मेहमान भी आ जायेंगे। फिर किशन ने मां से पूछा मां धन कब आयेंगे। उसकी मां किशन के हाथ पकड़ कर एक बंजर खेत में ले गई। और बोली बेटा इसी खेत में तुम्हारे पूर्वज का धन जमा है। इतना बोलकर किशन की मां घर वापिस आ गई। किशन खेत में ही बैठे सोचते रहा। कि यहां तो बंजर भूमि है। इसमें कहा धन जमा है। रात होने को थी ,किशन भी बहुत देर के बाद घर वापिस आया।और अपनी मां से पूछा कि, मां वहा तो केवल बंजर भूमि है , वहां कहा से धन आएगा। उसकी मां बोली बेटा उसे कमाओ धन अपने आप आ जाएगा। फिर क्या था,किशन गाय चराना जाना बंद कर दिया तथा जमा किए हुए कुछ पैसों से खेती करना आरंभ कर दिया। उसने सुबह जागते ही कुल्हाड़ी पकड़ के खेत चला गया। खेत को धान लगाने के लिए खुदाई करने लगा। और हल चलाकर बहुत बड़ा खेत बना लिया।और उसमे खेती करने लगा। खेत में विष्णुभोग धान का बीज डाल दिया। बीज धीरे धीरे अंकुरित होकर पत्तियों  में बदलने लगा। किशन प्रतिदिन खेत जाता और फसल को देखता। धान काटने का दिन आ गया । वो धान काटना आरंभ किया। खेत को देखते हुए इतना ज्यादा मात्रा में धान मिला की उसका घर धान से उछलने लगा। किशन आधे धान को बेचा और आधे धान को घर में रख लिया। किशन की मां अपने बेटे के इस कठिन परिश्रम को देखकर अत्यंत खुश थी। धीरे धीरे कुछ दिन के बाद किशन आधे गांव के खेत का किसान हो गया। उसके घर जो पहले माटी का था, उससे पक्का का बनवा दिया। और किशन के घर में इतना मेहमान आते कि उसकी मां चाय देते देते थक जाती। किशन के मामा जो दूर में रहते थे । वे भी संपन्न घर देखकर आने जाने लगे। किशन के दोस्त भी जो पहले किशन के घर नहीं आते थे। अब उसके घर रोज आते जाते थे। एक दिन उसकी मां बोली देखे बेटा घर समृद्ध हो गया तो आज के मेहमान हो गए।

प्रेरणा- १. हर इंसान अमीर समृद्ध घर में जाना पसंद करते है।
२. हमे किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए किशन के दोस्तों की तरह।
३. सब्र का फल मीठा होता है।
४. समय का ठिकाना नहीं रंक भी राजा बन जाता है।
और राजा भी रंक।
६. हमे कोई भी काम लगन से करना चाहिए।
७. अपनी मां को अपनी दोस्त समझकर हर बात बतानी चाहिए।

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