युवक निबंध

                      युवक निबंध

युवक निबंध आचार्य नरेन्द्र देव से लिया  कवित्री प्रेमलता ब्लॉग एक कविता का ब्लॉग है जिसमे कविता, शायरी, poem, study guide से संबंधित पोस्ट मिलेंगे


 युवक ही समाज के आधार स्तम्भ है- इस निंबंध में युवकों को समाज में आधारस्तम्भ माना गया है।

नवयुवक ही समाज को मजबूत आधार प्रदान कर सकते है । आचार्य नरेन्द्र देव के अनुसार परिवर्तन से ही समाज में आदर्श स्थापित किए जा सकते है।

नवयुवक आधुनिक समाज के संस्थापक है,उन्हीं के साहस से नए समाज का निर्माण संभव है।

युवक के शौर्य पर्याय -

युवक में साहस ,शौर्य ,तेज और त्याग की भावना प्रबल होती है।समाज की नवीन आवश्यकताओं को समझने की उनमें सूझबूझ होती है।


युवक ही समाज के नेतृत्व कर सकते है-

युवक ही जीवन मूल्यों की स्थापना करते है।समाज में सामंजस्य ,स्थिरता और समग्रता के नवीन दर्शन में युवकों की आस्था होती है। नवीन मूल्यों की स्थापना करने के कार्य का युवक ही नेतृत्व करते है।


युवक क्रांति के संवाहक होते है-

नूतन समाज की रचना, प्रचलित सामाजिक पद्धति में आमूल परिवर्तन की शक्ति नवयुवकों में ही होती है।नए उपक्रम में  क्रांतिकारी परिवर्तन युवकों के सहयोग से ही संभव है।स्वतंत्र राष्ट्र के संचालकों का कर्तव्य है कि वे युवा पीढ़ी को रचनात्मक कार्यों में लगाकर उनकी ऊर्जा का सही प्रयोग करें ।


युवक ही शक्ति के असीम स्रोत है-

भविष्य के निर्माण के लिए आज सभी को त्याग के लिए प्रेरित करना है। किन्तु जब तक कोई ऐसा उद्देश्य जनसाधारण के समक्ष नहीं रखा जाता , जिसके लिए लोग खून पसीना एक करे, तब तक त्याग की आशा करना व्यर्थ है। इन सभी कार्यों के लिए युवक ने आदर्श प्रियता , निर्भीकता, साहस लगन आदि होना आवश्यक है। युवक ही शक्ति के असीम स्रोत है। उन्हें अनुशासन के महत्व को समझाकर उनके इस शक्ति के स्रोत का उपयोग करनी चाहिए ।


युवक भाव प्रवण होते है-

परिस्थितियों में युवक बहुत प्रभावित होता है। वह भाव pravan होता है । शुरता और पराक्रम दिखाने का कोई मौका वह अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता है । इसलिए हमे सदकर्यों में उसकी शक्ति का उपयोग करनी चाहिए।


युवकों को अधिकार की स्वीकार करना चाहिए - आचार्य नरेन्द्र देव के इस कथन का आशय है कि जब तक हम युवकों का अधिकार स्वीकार नहीं करेंगे,तब तक नए समाज की रचना का काम सफल नहीं होगा।हमारे पुराने नेताओं को युवकों के साथ मिलकर काम करने में असुविधा होती है। इसमें केवल एक अपवाद है - पंडित जवाहरलाल जी ने नई नीति का सूत्रपात किया था और वह सदा इसी बात को अनुभव करते है कि युवकों के अधिकार को स्वीकार करना चाहिए,जिससे कोई परंपरा नहीं बन पाती।

यदि युवकों को अधिकार स्वीकार कर लिया जाए तो इसके कई लाभ हैं ।पहली बात तो यह समझने की है कि जो आज अधिकार रूढ़ है, उनका कर्तव्य है कि वे अपने उत्तराधिकारीओं को आज तैयार करें अन्यथा इन वृद्धों के हट जाने पर उनकी जगह लेने वाले योग्य अनुभवी व्यक्ति ना मिलेंगे ।

दूसरी बात यह है कि भारत के स्वतंत्र होने पर जो बड़ी जिम्मेदारी देश पर आ गई है ,उस को सहन करने की शक्ति कुछ वृद्धों को छोड़कर अन्य वृद्धों में नहीं है। पुनः नूतन समाज की रचना का और प्रचलित समाज पद्धति को तोड़ने का युवक में सामर्थ्य है। जो सामाज नया उपक्रम करना चाहता है और जिसको क्रांतिकारी परिवर्तन की आवश्यकता है ,उसको युवकों का सहयोग अवश्य चाहिए और यही सहयोग युवा के अधिकार को स्वीकार करके ही प्राप्त हो सकता है।

स्वतंत्रता राष्ट्र के विद्यार्थियों को हड़ताल करते हम नहीं सुनते उनको इसकी आवश्यकता नहीं होती। परतंत्र राष्ट्र के विद्यार्थी राजनीतिक आंदोलनों में खूब भाग लेते हैं। उनको समय-समय पर प्रदर्शन और हड़ताल करनी पड़ती है, राजा के अधिकारियों के साथ संघर्ष होने से उनको गोली भी खानी पड़ती है। ऐसे वातावरण में रहने से उनकी एक विशेष प्रकार की मनोवृति बन जाती है।

निष्कर्ष- 

अंत में आचार्य नरेन्द्र देव ने यही कहां कि युवा पीढ़ी ही समाज एवं युवकों के स्वर्णिम भविष्य हेतु महत्वपूर्ण ताकत है। समाज के समस्त समस्याओं का समाधान युवकों द्वारा ही संभव है। भावी भविष्य के निर्माता युवक ही देश के कर्णधार है।

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कविता - निशा रानी




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