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कविता - सीखे




कविता - सीखे




राहों में अकेले चलना सीखे।

तूफानों से लड़ना सीखे।

आगे आगे चलना सीखे।

शेर की दहाड़ में बढ़ना सीखे।


गतिशील नदियों के चलना से सीखे।

कछुए की धीरे चाल से चलना सीखे।

चालाकी से बोलना सीखे।

बच्चों की तरह नम्र रहना सीखे।


फूलों की तरह खिलना ।

भोरें की तरह गुनगुनाना सीखे।

मेहनत का फल खाना सीखे।

ऊंची उड़ान को पाना सीखे।


भटके को राह दिखाना सीखे।

अपनों का प्यार निभाना सीखे।

झुके वृक्ष के जैसा परोपकार होना सीखे।

गलतियों को स्वीकार करना सीखे।


बादल की तरह गर्जना सीखे।

मौसम की तरह बरसना सीखे।

छिपकली की तरह रंग बदलना सीखे।

हार कर भी सम्हलना सीखे।


जीत को हासिल करना सीखे।

संघर्ष कर परिस्थितियों से लड़ना सीखे।

दूसरों को प्यार करना सीखे।

प्रकृति का ख्याल रखना सीखे।

🙏✳️💐💐💐💐💐

धन्यवाद




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