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नैतिक सायरी

*  नदी गतिशील , तभी रहता है शीतल जल।
    लगातार बिना रुके कार्य करें,तभी सुधरेगा                          कल।
     जिस तरह तालाब का शांत,पानी ज्यादा दिन नहीं रहता।
      उसी प्रकार बिना कर्म किए धन,अधिक दिन नहीं टिकता।

*   समय का पहिया न रुके भैया,कर्म करो फल न मिले तो न करो खेद।
      अपने कार्य समय पर ही कर ले, वरना ऐसा होगा।
      अब पछतात क्या होत,जब चिड़ियां चुग गई खेत।

*    आकाश में विचरते पंछी,और पिंजरे में बंद  पंछी।
       एक स्वछंदता का अनुभव कर रहा।
        एक गुलामी का रोना रो रहा।
       हम भी अपना जैसा समझे जीव जगत को,
       क्यों खिलौने का मोल ले रहा।

*      कोयल की मीठी वाणी सबको भाती है।
         कौआ की करकस आवाज उसे दूर भगाती            हैंैैंै
        इन दोनों का मेल हमें मीठी वाणी बोलने  का सिख सिखाती है।


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धन्यवाद




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