राधा कृष्ण की होली
राधा बरसाने में होली खेली सखियां प्यारी।
दिखे रंगों की फुलझड़ी राधा बरसाने दुलारी।
ललिता ,वृंदा सब सखियां रंगों की बौछार।
राधा दौड़ भागी बजे पायल की झंकार।
मन में है श्याम बसा खोजे अंखियां उसे।
प्रेम की रंग लगे ढूंढे सखियां उसे।
बावरी राधा कृष्ण दरश को प्यासी है ।
रंगों की धूल में नयन उसे तलाशी है।
वृंदावन में होली खेले रघु राई
मुरली के धुन में राधा को बुलाई।
मन में राधा की छवि दिख आए।
खोजे माखनचोर ,
राधा को मन में लिए बसाएं।
गोपी- ग्वाल बाल सब रंग उड़ाएं।
गायों की आवाज गूंज,
मानो कान्हा को पास बुलाएं।
नन्द के लाल यशोदा के दुलार।
सब गोपियों पर लुटाएं,
होली के प्रेम का बौछार।
मनोहर रमा में सबने होली खेलें।
रंग सुहाने लगे,
होली का दिन कुंभ का मेले।
होली के अनेक रंगों से खिला वृंदावन का मौसम।
यमुना नदी रंगों से हुई सरगम।
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