बेवकूफ भूत बंदर की चतुराई
Step 1.
एक समय की बात है एक बूढ़ी दादी रहती थी जिसका बेटा बुद्धुराम था। जिस तरह से बुद्धू राम का नाम बुद्धूराम ठीक उसी प्रकार का उसका काम था। एक बार गांव में मेला लगा था। बुद्धुरम के दोस्त सभी मेला जा रहे थे तो बुद्धिराम के भी जाने की इच्छा हुई ।तो बाजार जाने के लिए पैसा मांगा बुधराम तो दादी बुद्धू राम को पैसा दी। और बुद्धू राम चला गया बाजार तो वह अपने दोस्तों के साथ घूमने लगा तो वहां उसके दोस्त तरह-तरह के खिलौने और कई प्रकार की अपने लिए कपड़े जूते मोजे सब खरीदने लगे। लेकिन बुद्धिराम वहां एक बंदर के पास जो मदारी था वह बंदर को नचा रहा था उसके पास गया और वहीं पर बैठ गया ।और देखने लगा और सोचा बंदर कितना मस्त नाच -नाच के खेल दिखा रहा है।
Step 2.
तो मदारी से बोला बुद्दुराम मदारी भैया क्या यह बंदर मुझे मिलेगा । तो मदारी बोला हां बेटा लेकिन मेरा तो यही है मैं पूरे दिन भर इसी से कमाता हूं इसे बेचने के लिए बहुत सारे पैसे होने चाहिए ।तो जो था बुद्धुराम था वह बोला कि मेरे पास तो बस इतना ही पैसा है लेकिन यह बंदर मुझे दे दो भैया ऐसे करके मदारी से बोलता है।
तो मदारी भी चलो ठीक है ले जाओ क्योंकि मदारी के पास भी और बंदर था। इसलिए उसको दे देता है।
बुद्धू राम की जो मां थी। वह अपने बेटे को बहुत डांटा तुझे इतना बड़ा मेला में कुछ नहीं मिला जो बंदर को घर ले लााया है। तो बुद्धू राम बोलता है कि नहीं देखना ना इसे खेल मैं बहुत पैसा कमाउंगा।
मैं राजा बनूंगा अपने मां को बुद्धू राम बोलने लगता है। और कुछ दिन लगता है और बंदर और बुद्धू राम के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है ।
और बंदर रहता है कि उसके मां उसके बिल्कुल भी पसंद नहीं करता क्योंकि वह हमेशा नाचते रहता है इधर - उधर उछालते रहता है।
फिर बंदर सोचा कभी न कभी किसी ना किसी दिन एक दिन तेरा काम जरूर आऊंगा।
Step 3.
बुद्दुराम हमेशा की तरह अपना कामकाज करने के लिए सब उल्टी सीधी काम करने लगता है ।उसकी मां उसे तंग आकर उसे घर से भगा देती है। तो बुद्धू राम चला जाता है शाम ढले फिर वापिस आ जाता है ।
अब बंदर भी घूमने के लिए जाने लगा। वह पहाड़ में जा कर देखता है कि वहां पर एक गुफा में एक भूत रहता है ।
वहां पर बहुत सारे ढेर सारी खजाने रहती है। उसका खजाने के उपयोग कोई नहीं कर पाता क्योंकि वह भूत के डर से कोई उसके पास नहीं जाता था। तो बंदर सोचा कि चलो रास्ता कुछ रास्ता तो मिला पैसा कमाने का फिर खुद भूत की सेवा की जाए ।
तो बंदर जाकर भूत के लिए तरह -तरह के पकवान बनाता। भूत बहुत खुश था ।
कि अरे भाई यह बंदर तो बहुत अच्छा है मेरा बहुत ख्याल रखता है तो वह भूत बंदर को कुछ सोने की मोहर दे देता है ।
बंदर उसे लेकर अपने मालिक के पास बुद्धू राम के पास आ जाता है। और उसकी मां देखकर भी बहुत खुश हो जाती है कि आज तो बंदर बहुत अच्छा काम किया है। सोने की मोहर ले आया है। बुद्दूराम की मां का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
Step 4.
कुछ दिन का उसका राशन चला फिर बंदर जाता है और भूत का बहुत ही अच्छे से सेवा करने लगता है । बंदर बोलता है कि अरे भूत भाई अकेला रहता है। मेरे लिए bhabhi भी ले आ भैया भाभी मा खाना बना कर देगी। आपको तो भूत बोलता है कि मैं कहां से लाऊंगा तो बोलता है मैं लाऊंगा तेरे लिए बढ़िया घरवाली तू रखेगा सुंदर रहेगी सुशील रहेगी तेरा ख्याल रखेगी। सुनकर बंदर की बात भूत अत्यंत खुश हो जाता है ।
फिर बंदर अपने मालिक के पास आकर कहा कि तू बढ़िया सा एक पुतला बना देता है। तो कुछ अच्छा ही होगा । बंदर जो है वह उसी पुतले को भूत के पास ले कर चला जाता है। और एकदम से उसके सिर को ढक देता है चुन्नी में तो उसे कुछ पता भी नहीं चलता है और उसे वहां पर बैठा देता है पुतला को आदर्श अब भूत से कहता है कि अभी नई नवेली है इससे बात मत करना यह बहुत शर्म आती है ऐसे करके बोल दिया भूत खुद बोला कि चलो ठीक है भैया मैं कभी बात नहीं करूंगा।
कुछ दिन बीत जाता है तो जाकर भूत खुद पुतला के पास बैठ कर उसे बोलने लगता है कि कुछ बात तो कर ले मेरे लिए क्या बनाएगी कुछ तो बना दे कुछ तो बात कर ले करके उसे बोलने लगते हैं तो पुतला कहां से बोलता।
दो शब्द तो कह दे। फिर थक हार भूत अरे अब गुस्सा देखा करके उसको देखता है तो पूरा पुतला को एकदम चीर फाड़ कर लाते मार के उसी जंगल में फेंक देता है।
Step 5.
उधर से शंकर भगवान और पार्वती वहां से गुजर रहे थे। तो उसी पुतला के ऊपर नजर लगता हैं तो पार्वती बोलती हैं ।
प्रभु देखो तो कितना सुंदर यह पुतला है इसमें जान देते तो कितना सुंदर हो जाती है । शंकर भगवान देवी ऐसी ही करती है बोल उस पुतले में जान भर देता है।
पुतला इतना सुंदर स्त्री दिखती है। कि मानों स्वर्ग से कोई देवी धरती में उतर आई हो।
उसके बाद वह सुंदर स्त्री जिस रास्ते से भूत लाया था उसी रास्ते से वह भूत के गुफा पहुंच जाती है । और उस गुफा को अपना घर समझने लगती है।
भूत देख हक्का बक्का हो जाता है।
वह खुश हो जाता है और सुंदर स्त्री को देख मनमुग्ध हो गया।
बंदर वह उसी के पास गुफा में आता है तो देखता है कि भाभी आ गई है तो बंदर देखना है बंदर उसको देखता है तो उसके आंखों में इस विश्वास नहीं रहता बंदर फिर कुछ दिनों के बाद में जो भूत के पास बैठे रहती है तो बहुत के जाने के बाद में उस लड़की पास बोलने लगता है कि अरे तू भूत के पास क्यों है मैं तुझे गांव में ले जाता हूं।
वहां पर मेरे मालिक है उससे शादी कर लेना उसी के साथ रहना यह भूत है तुझे खा जाएगा। करके सब कुछ पूरा बात बताता है। तो वह बात मान लेती है।
जो लड़की रहती है तो भूत को फिर बंदर बोलने लगता है कि मैं अपने दीदी को लेने आया हूं यह मेरे अपने मायके जाएगी ।और भाई दूज है तीजा मानने घर जाएगी। तो ऐस बोलकर बंदर उससे बोल गंव छोड़ देता है ।
उसको अपने घर ले जाता है तथा बुदुराम देख खुश हो जाता है उसकी मां का तो खुशी के आंसू आने लगे थे।
और बुध्दुराम से शादी करा दिया जाता है।
इधर बहुत बहुत परेशान हो जाता है, कि इतना दिन हो गया घर
नहीं आ रही है।
भूत के पास बंदर आता है और जोर - जोर से रोने लगता है । भूत बोला क्या हुए बंदर भाई तब बंदर सिसकते बोला
भाभी मर गई ।
वह बहुत बीमार थी ।
तो बहुत सोचता है कि कैसे मर गई और वह भी रोने लगता है। और सोचता है कि वह मर गई तो मैं भी मर जाऊंगा। अब नहीं रहना मुझे करके भूत आग लगा ओ भी मर जाता है।
बंदर रहता है वह बुद्धू राम और उसके पूरे परिवार को उस गुफा में लाता है और जितना खजाना रहता है ।
उसको धीरे-धीरे लेकर अपने घर में और बहुत बड़े घर बनाते है ।
और सुखी जीवन यापन करते हैं।
यह था बंदर की समझदारी और भूत की कहानी।
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