रिश्तों की दरार
Step-1.
एक शहर में एक बड़ा परिवार रहता था जो हमेशा अत्यंत सुखमय एवं अपने जीवन को निस्वार्थ रूप से परिपूर्ण कर रहे थे। उन लोग अत्यंत खुशनुमा जिंदगी जीवन यापन कर रहे थे ।वह हमेशा एक दूसरे का मदद करते और एक दूसरे के लिए जीते मरते थे । उन लोगों के मन में किसी भी प्रकार की द्वेष की भावना नहीं थी। वह परिवार अत्यंत सुखमय था।उन लोगों के परिवार में केवल छ: सदस्य थे जिसमें से दो बुजुर्ग थे ।
दादा-दादी के बेटा बहू का नाम नारायण और लक्ष्मी था ।और उसके पुत्र थे जिसका नाम त्रिलोचन था। वह लोग हमेशा एक दूसरे से शांति जिंदगी यापन कर रहे थे और नारायण की एक बहन थी जिसका नाम आरती था।वह बहुत ही सुशील एवं बुद्धि मती थी।त्रिलोचन शादी होने के लायक हो गया था। तो उसके घर वाले लक्ष्मी और नारायण परेशान भी व लड़की देखने के लिए उत्सुक हो गए थे ।उन लोग अपने पुत्र के लिए एक सुशील सुबुद्धि वाली लड़की की तलाश में थे।
Step-2.
उन लोगों को एक दिन पता चला कि उसके गांव के पास में ही एक बहुत ही अच्छी लड़की रहती है। और उसके माता-पिता भी अच्छे हैं ।उन लोग हमेशा सादा जिंदगी जीवन यापन करते हैं। तो उसके घर में अपने प्रथम पुत्र के लिए लड़की मांगने के लिए गए तो उस लड़की का नाम स्वरूपा थी। स्वरूपा के माता-पिता भी त्रिलोचन को पसंद कर लिए।
और स्वरूपा का शादी मस्त धूमधाम से हुआ और त्रिलोचन व स्वरूपा सुख में जीवन यापन करने लगे।।
Step-3.
तो यह सब देख कर उसके पड़ोसी वाले बहुत ही जलन फील करते थे ।उन लोग नहीं चाहते थे, कि इन लोग खुश रहे। उन लोग देखते कि यह लोग हमेशा खुश हैं तो इसके लिए कुछ ना कुछ लड़ाई भी सुनाई देती तो कुछ मजा आ जाए। यह सोचकर पड़ोसी लोग षड्यंत्र रचने लगे। कि इन लोगों हम लोग जैसे लड़ाई क्यों नहीं होते हैं, वैसे ही इन लोगों के भी घर में लड़ाई होना चाहिए ।तो एक बार क्या हुआ कि पड़ोसी जो थी ।वह त्रिलोचन की पत्नी स्वरूपा को भड़काने लगी। तेरी सासू मां बहुत बुरी है ।तेरी ससुर अच्छे इंसान नहीं है। इस तरह उन लोगों को तरह-तरह की बातें बना- बना कर स्वरूपा की कान भरने लगी। लेकिन स्वरूपा उन लोगों की बातों में ध्यान नहीं देती ।
Step-4.
वह अपने काम में मगन हो जाती थी। लेकिन पड़ोसी भी हार नहीं माने उन लोग रोज आ -आ कर घर में स्वरूपा को इतना भड़का दिए कि उसके अपने ही सास ससुर के प्रति दुश्मन की भावना पैदा कर दिए। तो अब स्वरूपा सोचने लगी । कि मेरे सास-ससुर मुझसे ज्यादा काम करवाते हैं ।
अपने बेटी बेटा को ज्यादा पसंद करते। उसके मन में द्वेष भाव उत्पन्न हो गए। इसी तरह से आरती की भी शादी होने को आई।उसके लिए वर चुना गया ।और उसका भी शादी करके भेज दिया गया ।तो क्या हुआ कि उसके आरती के उसके ससुराल में अच्छे से नहीं बनी, तो वह मायके में आकर बैठ गई।
तो स्वरूपा कुछ दिन तो आरती को कुछ नहीं बोली।
Step-5.
बहुत अच्छा व्यवहार की ।फिर उसके बाद में उसके प्रति जलन की भावना आने लगी। कि यह मेरे घर में क्यों है कुछ काम करती नहीं है ।ऐसे करते - करते उसके मन दूषित हो गया। और पड़ोसी लोग मजा लेने लगे। इस तरह से पड़ोसी लोग मजा उठाने लगे ।तो त्रिलोचन यह सब बात को बाहर से पता चल गया कि पड़ोसी हम लोगों के रिश्ते में दरार उत्पन्न कर रहे हैं ।
हम लोगों को शांति से जीवन यापन करते देखे हम लोगों के प्रति जलन की भावना आ गई है। तब स्वरूपा को एक दिन त्रिलोचन बैठा कर कहा। तथा स्वरूपा को सुंदर से समझाने लगा। कि यह पड़ोसी हैं हम लोगों के प्रति जलन पैदा कर रही है।
और हम लोगों की रिश्ते में फुट कर रही हैं।
Step-6.
अगर विश्वास नहीं आ रहे तो एक बार हम लोग इन लोगों का परीक्षा कर ले कर देखते हैं। तो जब पड़ोसी बात कर रहे थे तो त्रिलोचन स्वरूपा को लेकर चुपके से दरवाजे के पीछे सिमटकर उन लोगों के बातों को सुनने लगे। जिसमें एक पड़ोसन बोली थी। कि हां यहां बहुत मजा आया नारायण के घर फूट रहे हैं । हम लोगों की बात में आकर अपने घर वाले को तंग कर रही है। दूसरी बोली हां यार बहुत मजा आया लोगों की जिंदगी में अब उन लोग भी हमारे जैसे ही लड़ाई होगा। देखने में मजा आएगा।
ऐसे ही बात कर रहे थे तो समझ गए कि आखिर पड़ोसी लोगों को चोरी चुगली और पड़ोसन की लड़ाई झगड़ा देखने में बहुत मजा आता है ।कभी भी अपने घर वाले को ग़लत न समझे। और शांति नुमा जिंदगी यापन करने लगी। और लक्ष्मी नारायण के नारायण के बहन आरती को भी मना कर उसके ससुराल में भेज दिए गए। और फिर से उस के परिवार वही खुशहाली जिंदगी आ गई।
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